महात्मा गांधी की जीवन यात्रा, एक अमीर ख़ानदान में पैदाइश से राष्ट्रपिता तक

<p>
महात्मा गांधी यह नाम सुनते ही एक दुबले-पतले शख्स की छवी हमारे जेहन में बनने लगती है। जिसने इस देश को अंहिसा का पाठ पढ़ाया, जिसने अंग्रेज़ों की हुकूमत से भारत को आज़ाद कराने की लड़ाई लड़ी और ग़रीब भारतीयों के हक़ के लिए आवाज़ उठाई थी।  देश  30 जनवरी को गांधीजी की पुण्यतिथि के रूप में मनाता है। गांधी जी के पुणयतिथी पर आइए हम जानते हैं कि कैसे एक लापरवाह नौजवान देश का राष्ट्रपिता बन गया।</p>
<p>
गांधी जी का बच्पन का नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनका जन्म उत्तर-पश्चिमी भारत की पोरबंदर रियासत में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था। गांधीजी के पिता करमचंद गांधी पोरबंदर रियासत के राजा के दरबार में दीवान थे। गांधीजी अपनी पढ़ाई के लिए पोरबंदर से राजकोट आ गए। राजकोट में मोहनदास को अंग्रेज़ी की शिक्षा दी गई। 13 बरस की उम्र में मोहनदास गांधी की शादी कस्तूरबा से कर दी गई। वो राजकोट की ही रहने वाली थीं। अपनी आत्मकथा में गांधीजी ने लिखा है कि वो परिवार की परंपरा के ख़िलाफ़ जाकर चोरी करने, शराब पीने और मांसाहार करने जैसे कई बुरे काम करना शुरू किए थे। पिता की मौत का गहरा असर गांधीजी पर पड़ा। गांधी मानते थे कि पिता की मौत ने उनकी जिंदगी बदल दी।</p>
<p>
लंदन मे कानून की पढ़ाई करने के बाद गांधी भारत लौट आए और वक़ालत करने लगे। वो अपना पहला मुक़दमा हार गए थे। इसी दौरान गांधीजी को दक्षिण अफ्रीका में काम करने का प्रस्ताव मिला, जो उन्होंने फ़ौरन स्वीकार कर लिया और वो दक्षिण अफ्रीका चले गए। 1913 में  गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में रह रहे भारतीयों पर लगाए गए 3 पाउंड के टैक्स के ख़िलाफ़ आंदोलन शुरू किया। उनके इस आंदोलन को काफी समर्थन मिला। दक्षिण अफ्रीका की अंग्रेज़ हुकूमत को भारतीयों पर लगाया गया टैक्स वापस लेना पड़ा। गांधीजी की जीत को इंग्लैंड के अख़बारों ने जमकर प्रचारित किया। इस क़ामयाबी के बाद गांधी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाने-पहचाने जाने लगे।</p>
<p>
1915 में गांधी जी अफ्रीका से भारत लौट गए। अपनी बढ़ती लोकप्रियता की वजह से गांधी अब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रमुख चेहरा बन गए थे। वो ब्रिटेन से भारत की आज़ादी के आंदोलन के भी अगुवा बन गए। गांधी ने धार्मिक सहिष्णुता और सभी धर्मों को आज़ादी के आधार पर भारत के लिए आज़ादी मांगी। उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ लोगों  के असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। भारत में बढ़ते आजादी की मांग को देखते हुए ब्रिटिस सरकार ने भारत को 15 अगस्त 1947 को आजाद कर दिया। लेकिन, इसका नतीजा वो नहीं निकला, जिसके लिए गांधी इतने दिनों से संघर्ष कर रहे थे। अग्रेजों ने प्लान के तहत भारत का विभाजन कर के भारत और पाकिस्तान नाम के दो स्वतंत्र देश बना दिए। ये बंटवारा धार्मिक आधार पर हुआ था।</p>
<p>
विभाजन के बाद जिन मुस्लमानों ने पाकिस्तान जाने के बजाय भारत में ही रहने का फ़ैसला किया था। गांधी ने इन मुसलमानों के हक़ के लिए अनशन करना शुरू किया। इसी दौरान, एक दिन जब वो दिल्ली के बिड़ला हाउस में एक प्रार्थना सभा में जा रहे थे तो गांधी को सीने में तीन गोलियां मारी गईं। दिल्ली में जब महात्मा गांधी की अंतिम यात्रा निकली, तो उस में दस लाख से ज़्यादा लोग शामिल हुए थे। यमुना किनारे उनका अंतिम संस्कार किया गया। पूरी दुनिया में लोगों ने अहिंसा और शांति के पुजारी इस शख़्स के गुज़र जाने का मातम मनाया। मौत के बारे में ख़ुद महात्मा गांधी ने कहा था, ‘मौत के बीच ज़िंदगी अपना संघर्ष जारी रखती है। असत्य के बीच सत्य भी अटल खड़ा रहता है। चारों ओर अंधेरे के बीच रौशनी चमकती रहती है।’ के बीच रौशनी चमकती रहती है।’</p>

Gyanendra Kumar

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

1 year ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

1 year ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

1 year ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

1 year ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

1 year ago