हैदराबाद के नफरती भाईजान की ‘जान’ हलक में, हेट स्पीच के मामले में पीसनी पड़ सकती है जेल में चक्की, फैसला आज

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हैदराबाद के नफरती भाईजान की जान हलक में अटकी हुई है। आज से 9 साल 4 महीने पहले हैदराबाद के नफरती भाईजान ने एक जनसभा में यह कह कर सांप्रदायिक उन्माद फैला दिया था कि अगर 15 मिनट के लिए पुलिस हटा दी जाए तो 100 करोड़ हिंदुओं को 25 करोड़ मुस्लिम बता देंगे कि हम क्या चीज हैं। हैदराबाद में दिए इस जहरीले बयान पर मुकदमा दर्ज किया गया था। कई साल तक चले इस मुकदमे में कुल 71 गवाह पेश हुए हैं। इस मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है। हैदराबाद की नामपल्ली अदालत इस मामले में अंतिम फैसला सुनाया जाने वाला है।</p>
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हैदराबाद के ये नफरती भाईजान असदउद्दीन ओवैसी के छोटे भाई अकबर उद्दीन ओवैसी हैं। ये आजकल तैलंगाना की विधानसभा से विधायक भी हैं। अदालत ने उस वीडियो का साइंटिफिक परीक्षण भी करवाया है, जिसमें यह साबित हो चुका है। वीडियो असली है। अकबरउद्दीन ने देश को सांप्रदायिकता फैलाने के लिए जानबूझकर जहरीला बयान जारी किया था। कानून के जानकारों का कहना है कि विशेष अदालत अकबरउद्दीन को 7 साल कैद की सजा सुना सकती है।</p>
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हालांकि अकबरउद्दीन को पुलिस ने उस समय भी गिरफ्तार कर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया था। उस समय मजिस्ट्रेट ने उन्हें जमानत दे दी थी। आज मुकदमे में फैसले का दिन है। अकबरउद्दीन और असदउद्दीन दोनों भाई देश में नफरत की राजनीति करते आ रहे हैं। दरअसल, ये रजाकार फैमिली के वंशज हैं। रजाकार हैदाराबाद निजाम के मिलीशिया थे। आजादी के समय निजाम हैदराबाद ने भारत सरकार के खिलाफ बगावत कर दी थी। तत्कालीन गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल ने भारतीय फौज को भेजा तो रजाकारों ने सरैंडर के बजाए सशस्त्र मुकाबला किया। हालांकि कुछ रजाकार मारे गए और कुछ जान बचाकर भाग गए। बाद में निजाम हैदराबाद ने सरैंडर कर दिया। ऐसा आरोप लगाया जाता है कि असद्उद्दीन ओवैसी और अकबर उद्दीन ओवैसी के मन में वही कटुता अभी तक बरकरार है। हालांकि दोनों भारतीय संविधान के भीतर जन प्रतिनिधि हैं लेकिन वो अपनी राजनीति से मुस्लिमों को नफरत की राजनीति का पाठ पढ़ाते हैं और भारत में इस्लामी शासन की मंशा रखते हैं।</p>
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असदउद्दीन ओवैसी ने ऐसी ही राजनीति का प्रयोग बिहार में किया और वहां उन्हें सफलता भी मिली। लेकिन बंगाल और फिर उत्तर प्रदेश की चुनावी राजनीति में उन्हें बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी। उत्तर प्रदेश चुनाव में नकारे जाने के बाद असदउद्दीन ओवैसी के डंक लच गए थे। लेकिन मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने जब से पत्थरबाजों के घरों पर बुल्डोजर चलाना शुरू किया है तब से एक बार फिर असदउद्दीन ओवैसी मुखर हो उठे हैं। बहरहाल, आज छोटे और बड़े और दोनों नफरती भाईजान के लिए संकट की घड़ी है। जैसे ही नामपल्ली की विशेष अदालत फैसला सुनाएगी वैसे चीख-पुकार फिर से शुरू होने की आंशंका है।</p>

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

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