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IIT कानपुर: स्मार्ट क्लासरूम के ज़रिए ग्रामीण बच्चों को पढ़ायेगा ऑनलाइन

भारत सरकार विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा पर विशेष बल देती है। इसे प्राप्त करने के लिए शुरू की गयी कई परियोजनाओं में से एक पहल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर द्वारा शुरू की गयी है। यह उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करेगी।

ऑनलाइन ग्रामीण शिक्षा पहल के रूप में नामांकित इस परियोजना का उद्देश्य IIT-K स्थित रंजीत सिंह रोज़ी शिक्षा केंद्र के माध्यम से गांव के स्कूली बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। इसे कल लॉन्च किया गया था और यह भारत सरकार के उन्नत भारत अभियान के साथ एकीकृत है।

यूपी के दो स्कूलों में पायलट प्रोग्राम शुरू किया गया है। ये कानपुर के बिठूर स्थित राम जानकी इंटर कॉलेज और लखनऊ स्थित भारतीय ग्रामीण विद्यालय हैं। ओआरईआई में शिक्षण IIT-K में स्मार्ट कक्षाओं के माध्यम से किया जाता है, जो कक्षाओं में छात्रों और संस्थान में शिक्षकों के बीच दो-तरफ़ा संचार करता है।

बच्चे और शिक्षक तत्काल एक दूसरे से बात कर सकते हैं, जिससे शिक्षण और सीखने का पूरा अनुभव बहुत इंटरैक्टिव हो जाता है। फिलहाल ओआरईआई कक्षा IX और X के लिए उपलब्ध है और आने वाले वर्ष में XI और XII के छात्रों को भी इसमें शामिल करने की योजना है।

स्वैच्छिक आधार पर संचालित इस परियोजना में बड़ी संख्या में पीएचडी विद्वान हैं, जो विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में पढ़ा रहे हैं। प्रोफ़ेसर संदीप संगल ने ओआरईआई के बारे में मीडिया को बताया कि इस शैक्षणिक वर्ष की योजना तैयार है और यह न केवल बाल-केंद्रित है, बल्कि सीखने के उद्देश्यों, उपकरणों और आकलन के आधार पर बैकवर्ड प्लानिंग डिज़ाइन को भी सक्षम बनाता है। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य ऐसे सक्रिय शिक्षण विधियों को प्रोत्साहित करना है, जो सीखने को रूचिकर और संवादात्मक बनायेगी।

इस परियोजना में अध्यापन एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के अनुसार किया जाता है और बोलचाल की हिंदी में किया जाता है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे इसे समझ सकें।

इसके अलावा, बच्चों को जोड़ने और उनकी समस्याओं को हल करने देने के लिए एक शैक्षणिक हेल्पलाइन की योजना भी बनायी जा रही है।

इस परियोजना से ग्रामीण युवाओं की रोज़गार क्षमता में योगदान की उम्मीद है और इसे राज्य के शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में चलाने के लिए अपनाया गया है। इस परियोजना के तहत सभी ग्रामीण स्कूलों को लाये जाने की उम्मीद है।

S. Ravi

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