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RSS चीफ का इशारा किस तरफ, इशारों में ‘नकलची’ न बनने की दे डाली सीख!

India turned towards development says RSS chief

RSS Chief Mohan Bhagwat: इसमें कोई दो राय नहीं है कि आने वाले कुछ सालों में भारत विश्व गुरु बना जाएगा। जिस तरह से भारत हर एक क्षेत्र में तेजी से विकास कर रहा है, जिस तरह से दुनिया के बड़े से बड़े देश इंडिया के साथ जुड़ना चाहते हैं। विकास की रथ पर सवार भारत को लेकर कई बड़े देशों का भी कहना है कि, आने वाले दिनों में हिंदुस्तान को विश्व गुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता। आज भारत चाहे डिफेंस क्षेत्र हो, टेक्नोलॉजी का क्षेत्र हो, शिक्षा का क्षेत्र हो, मेडिकल क्षेत्र हो, फार्मिंग से लेकर हर एक क्षेत्रों में तेजी से विकास कर रहा है। ऐसे में सरसंघचालक मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) का कहना है कि, भारत को किसी की नकल करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वह तो नकल करना कहलाएगा। आरएसएस चीफ मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) ने कहा कि, विकास के लिए भारत को किसी दूसरे देश का अनुसरण करने के बजाए भारत बनकर ही रहना होगा।

अमेरिका, रूस या चीन नहीं है भारत
सरसंघचालक मोहन भागवत ने ‘कनेक्टिंग विद द महाभारत’ पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा कि, अगर हम चीन, रूस, अमेरिका बनने का प्रयास करेंगे, तो वह नकल करना होता। उन्होंने कहा कि, ऐशा करने पर लोग तमाशा देखने जरूर आएंगे लेकिन वह भारत का विकास नहीं होगा। इसके आगे उन्होंने कहा कि, भारत के इतिहास तथा उसके धन एवं रण गौरव को निरंतर गलत बताने वाले लोगों पर विश्वास करना गलती थी और विकास के दीर्घकालिक लक्ष्य को हासिल करने के लिए भूगोल की जानकारी एवं इतिहास पर गर्व करना जरूरी है।

भारत के इतिहास में कुछ नहीं बताने वालों को जवाब
इस विमोचन के दौरान उन्होंने कहा कि, कुछ लोगों ने यह भी प्रयास किया हि हम अपने देश को, अपने इतिहास को भूल जाएं। वे हमें बता रहे थे कि हमारे इतिहास में कुछ नहीं है, कोई धन गौरव, रण गौरव नहीं है। वे हमारे ग्रंथों को गलत बता रहे थे। ऐसे लोग इस तरह की बातें इसलिए कह रहे थे क्योंकि, उन्हें स्वार्थ साधना था। उन्होंने कहा कि, महाभारत, रामायण को कविता, कहानी बताया गया, लेकिन यह समझना जरूरी है कि क्या कोई कल्पना इतनी लंबी चलती है? वेद व्यास को सिंहासन की आस नहीं थी और वे एक ऋषि थे, ऐसे में महाभारत में व्यास गलत क्यों बोलेंगे? इसके आगे उन्होंने कहा कि, सुख और दुख आने जाने वाली बात है और हमें अपने धर्म पर कायम रहना चाहिए यही महाभारत का बोध है।

विकास की ओर भारत
मोहन भागवत ने कहा कि, हमारी गाड़ी अब विकास की ओर मुड़ गई है और हम उस ओर बढ़ रहे हैं। हमें इस उद्देश्य के लिए एक लंबा लक्ष्य लेकर चलना होगा और उस पर आगे बढ़ते रहना होगा। इसके लिए इतिहास और भूगोल की जानकारी चाहिए साथ ही अपने इतिहास पर गौरव होना चाहिए।