भारत की यह हाइपर सोनिक मिसाइल चीन पर गिरी तो शी जिनपिंग को नहीं मिलेगा बचने का मौका

हाइपरसोनिक मिसाइलों (missile) की दुनिया में भारत के तेजी से बढते कदम न केवल पाकिस्तान बल्कि चीन के लिये भी भारी चिंता का कारण बन चुके हैं। 19 दिसम्बर को हैदराबाद स्थित रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ( ड़ीआरड़ीओ) की प्रयोगशाला में जिस हाइपरसोनिक विंड टनेल का उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया है उसने भारत को चीन से भी आगे रूस और अमेरिका के बाद तीसरे स्थान पर खड़ा कर दिया है। हालांकि चीन ने दावा किया है कि उसकी हाइपरसोनिक मिसाइल तुंगफंग-17 2019 से ही सक्रिय हो चुकी है और 2014 में ही उसने इस मिसाइल (missile) का पहला परीक्षण किया था। लेकिन हाइपरसोनिक मिसाइल (missile)विंड टनेल की सुविधा अब तक केवल रुस और अमेरिका के पास है। इस विंड टनेल के जरिये आवाज से पांच से 12 गुना अधिक गति वाले स्क्रैमजेट राकेट इंजनों का परीक्षण किया जा सकता है। इन इंजनों की बड़ी खासियत यह होती है कि इन्हें उडान के लिये अपना ईंधन लेकर चलने की जरुरत नहीं होती। ये इंजन वायुमंडल की हवा से आक्सीजन लेकर इसे जला कर अपनी ऊर्जा पैदा करते हैं जो मिसाइल को गति प्रदान करती है। भारतीय सेनाओं को अगली पीढी के स्वदेशी लडाकू विमान तो नहीं मिल सके लेकिन उसके लिये संतोष की बात होगी कि उसे अगली पीढी की हाइपरसोनिक मिसाइलें जरुर इस दशक के मध्य तक मिल सकेंगी। ये हाइपरसोनिक मिसाइलें भारतीय सेनाओं की धार को औऱ घातक बनाएंगी।

<strong>भारत के पास घातक मिसाइलों का भण्डार</strong>

वैसे तो भारत पृथ्वी (350 किमी.), अग्नि (700 से 5,000 किमी), के-4 (समुद्री 750 किमी) जैसी पारम्परिक बैलिस्टिक मिसाइलों (missile) के मामले में आत्मनिर्भर हो चुका है लेकिन चीन की तुलना में आज भी काफी पीछे है। फिर भी भारत के पास इतना बडा मिसाइल भंडार तो है ही कि चीन से मिसाइल युद्ध हुआ तो चीन को लहूलुहान होना पड़ेगा। भारत के पारम्परिक मिसाइल भंडार की इसी प्रतिरोधक क्षमता की वजह से चीन भारत के साथ मिसाइल (missile) युद्ध करने से हिचक रहा है। लेकिन जब भारत के पास हाइपरसोनिक मिसाइलें हो जाएंगी तो चीन के मिसाइल (missile) भंडार को भॉरतीय हाइपरसोनिक मिसाइलों से बड़ी चुनौती मिलेगी। वजह यह है कि चीन की बैलिस्टिक मिसाइलों के वार को भारत अपने देश में शीध्र तैनात होने वाली एस-400 एंटी मिसाइल प्रणालियों से बचाव कर सकेगा लेकिन भारत की हाइपरसोनिक मिसाइल जब चीन की धरती पर गिरने लगेंगी तो चीन को अपना बचाव करने के लिये पलक झुकाने का भी मौका नहीं मिलेगा।
<h4>जल-थल हो या आसमान चीन होगा चारों खाने चित</h4>
हाइपरसोनिक मिसाइलों की सबसे बड़ी खूबी यह है कि दुनिया की कोई भी एंटी मिसाइल प्रणाली चाहे वह रूस की एस-400 हो या अमेरिकी थाड या पैट्रियट हो वह हाइपरसोनिक मिसाइल (missile) को बीच आसमान में मुकाबला करने की नहीं सोच सकती। चूंकि बैलिस्टिक मिसाइलों की काट अमेरिका और रूस ने विकसित कर ली है और चीन ने रूस से खरीदी गई एस-400 मिसाइलों की तैनाती कर अपनी रक्षा के उपाय कर लिये हैं लेकिन भारत के पास अगले चार पांच सालों के भीतर जब हाइपरसोनिक मिसाइलें हो जाएंगी चीन के किसी भी जमीनी या समुद्री ठिकाने को भारत की हाइपरसोनिक मिसाइल द्वारा आसानी से निशाना बनाया जा सकेगा।
<h4>भारत की ब्रह्मोस खरीदना चाहते हैं कोस्टल कंट्रीज</h4>
भारत ने हाइपरसोनिक मिसाइलों की दुनिया मे पहला ठोस कदम गत सात सितम्बर को रखा था जब डीआरडीओ ने पहले हाइपरसोनिक तकनीक प्रदर्शक यान (हाइपरसोनिक टेकनोलॉजी डेमांस्टट्रेर ह्वीकल ) का सफल परीक्षण किया था। भारतीय मिसाइल (missile) वैज्ञानिकों ने इसके लिये जिस तरह की सुविधा विकसित की है उस पर भारत के प्रतिद्वंद्वी देशों और सामरिक हलकों की कड़ी निगाह है। भारतीय सेनाओं के भंडार में पिछले कई सालों से ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलें हैं । वास्तव में आवाज से 2.8 गुना अधिक मारक गति वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की भी कोई काट चीन सहित दुनिया के किसी भी देश के पास नहीं है। यही वजह है कि दक्षिण चीन सागर के जो तटीय देश ,जिनका चीन के साथ सागरीय विवाद चल रहा है वे भारत में बनी ब्रह्मोस मिसाइल खरीदना चाहते हैं।
<h4>किसी भी युद्ध का पासा पलट सकती हैं इंडिया की मिसाइलें</h4>
ब्रह्मोस की भी हाइपरसोनिक किस्मकी मिसाइल (missile) के विकास पर शोध एवं विकास कार्य चल रहा है पर इनमें स्क्रैमजेट इंजन नहीं होगा। इसकी आवाज से पांच से सात गुना अधिक मारक गति वाली किस्म कुछ सालों के भीतर सेनाओं को मिलने की उम्मीद है। हाइपरसोनिक मिसाइलें दुश्मन की सेनाओं को अपनी रक्षात्मक रणनीति बदलने को मजबूर करेंगी। फिलहाल इन मिसाइलों की कोई काट नहीं है इसलिये माना जा रहा है कि भारतीय सेनाएं इनका इस्तेमाल ब्रह्मास्त्र की तरह करेंगी। वास्तव में भारत की भविष्य की सैन्य रणनीति हाइपरसोनिक मिसाइलों को आधार बना कर विकसित होगी। ये मिसाइलें भारत को असाधारण सैन्य प्रहारक क्षमता प्रदान करेंगी जिसकी बदौलत पूरे युद्द का पासा ही पलटा जा सकता है। वास्तव में जिन आधुनिक लडाकू विमानों की कमी भारतीय सेनाओं को अब तक खल रही थी उसकी काफी हद तक भरपाई हाइपरसोनिक मिसाइलों से हो सकेगी। दुश्मन सेनाओं के मुकाबले भारतीय सैन्य क्षमता में एक बड़ी खाई को भारत में विकसित हो रही हाइपरसोनिक मिसाइल (missile) पूरी करेगी जो भारतीय सेनाओं को बड़ी सैन्य ताकतों के समकक्ष कर देंगी।

 .

सतीश के. सिंह

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

1 year ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

1 year ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

1 year ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

1 year ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

1 year ago