Indian army will get Indian identity: इस दिनों सेना को लेकर सरकार काफी कुछ बदलाव कर रही है। विदेशी चीजों को हटा कर स्वदेश में निर्मित चीजों को बढ़ावा दे रही है। टैंक, तोफ, फाइटर जेट, मिसाइल से लेकर नेवी के बैज तक स्वदेशी हो चुके हैं। अब एक बार फिर से भारत सराकर बड़ा फैसला लेते हुए इंडियन फोर्सेस को भारतीय पहचान (Indian army will get Indian identity) देने जा रही है। नये पहल के तहत अंग्रेजी परंपराओं को हटाया जाएगा। पराधीनता के प्रतीकों, परम्पराओं और प्रक्रियाओं को तीनों सेनाओं से हटाया जाएगा। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत यह पहल की जा रही है। इनकी पहचान की कवायद सेना ने शुरू कर दी है, जो अंग्रेजी सेना (Indian army will get Indian identity) से विरासत के तौर पर चली आ रही हैं। इन्हें या तो खत्म कर दिया जाएगा या भारतीय स्वरूप में बदला जाएगा।
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सेना को मिलेगी भारतीय पहचान
इसी साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से पंच प्रणों का उल्लेख किया था, जिसमें गुलामी की मानसिकता से मुक्ति भी शामिल है। इसी कड़ी में पिछले दिनों पीएम मोदी ने स्वदेशी विमानवाहक पोत INS Vikrant को लॉन्च किया तो सेंट जॉर्ज क्रॉस को हटाकर छत्रपति शिवाजी का प्रतीक लगाया गया। इसके बाद सेना में ऐसे प्रतिकों की पहचान शुरू की गई है।
मुख्य फोकस सेनाओं को मजबूत बनाने पर होना जरूरी
मीडिया में आ रही खबरों की माने तो तीनों सेनाओं थल, वायु और नौ सेना में जारी कुछ प्रक्रियाएं और परम्पराएं ब्रिटिश सेना से चली आ रही हैं। इन्हें जारी रखने या नहीं हटाने के पीछे कोई कारण नहीं है। जिस प्रकार आजादी के अमृत महोत्सव में गुलामी की मानसिकता और प्रतीकों से मुक्ति के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, सेनाओं में भी इस पर कार्य शुरू किया गया है। इसपर जानकारों का कहना है कि, सेना के सशक्तीकरण के लिए हरसंभव प्रयास किये जाने चाहिए। लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) राजेंद्र सिंह ने कहा है कि, “आजादी के बाद सेनाओं का काफी भारतीयकरण हुआ है। जरूरी हो तो आगे भी बदलाव किए जा सकते हैं, लेकिन मुख्य फोकस सेनाओं को मजबूत बनाने पर होना चाहिए।” सेना का कहना है कि, यह सही है कि सेना का तंत्र अंग्रेजी सेना से ही बना है लेकिन अतीत में काफी बदलाव हुआ है और आगे भी जो जरूरी होगा उसे किया जाएगा।
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कई परंपरायें अंग्रेजी शासन की देन, अब इनका होगा भारतीयकरण
नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने कहा है कि, नौसेना (Indian Navy) उन अनावश्यक या पुरातन प्रथाओं, प्रक्रियाओं और प्रतीकों की पहचान कर रही है जिन्हें या तो बंद किया जा सकता है या आधुनिक वास्तविकताओं के अनुरूप संशोधित किया जा सकता है। बता दें कि, सेना में अफसरों के पदों के नामों से लेकर, चयन प्रक्रिया, कमीशन प्रदान करने की रीति, सेनाओं के मेस में नियम, बड्डी परंपरा और साथ कई अन्य प्रक्रियाएं अंग्रेजी शासन की देन है। रिपोर्टों में सेना के सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि, इनकी समीक्षा की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जैसे-जैसे यह पूरा होगा, इनका भारतीयकरण करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
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