‘लातों के भूत’ ट्विटर की अक्ल आई ठिकाने, सैकड़ों फर्जी हेंडल किए बंद

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भारत सरकार ने ट्विटर को चेतावनी दे डाली है। सरकार की तरफ से  ट्विटर से साफ शब्‍दों में कह दिया है कि उसे जिन अकाउंट्स की लिस्‍ट सौंपी गई है, उन्‍हें सेंसर करना ही होगा। ऐसा न करने की सूरत में भारत में उसके शीर्ष अधिकारियों को गिरफ्तार किया जा सकता है। बुधवार को कहा कि भारत सरकार  के आदेशों के तहत उसने नियमों के उल्लंघन के लिए 500 से अधिक अकाउ्ंटस के खिलाफ कार्रवाई की है, जिनमें कुछ अकाउंट्स को स्थायी रूप से सस्पेंड कर दिया गया है।</p>
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केंद्र सरकार ने किसान आंदोलन, खालिस्तान समर्थकों से जुड़े कुछ अकाउंट्स बैन करने को ट्विटर को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें से ट्विटर ने कुछ पर एक्शन लेने से इनकार कर दिया। अब बीते दिन हुई बैठक में भारत सरकार ने एक बार फिर ट्विटर पर सख्त रुख अपनाया है। सरकार ने साफ किया कि ट्विटर को जिन 257 संदिग्ध अकाउंट्स की लिस्ट सौंपी गई है, उनपर एक्शन लेना ही होगा। इस दौरान सरकार की ओर से ट्विटर पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया और अमेरिका में हुई हिंसा का हवाला दिया।</p>
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<strong>कैपटिल हिल का दिया हवाला</strong></p>
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सरकार ने बैठक में अमेरिका के कैपिटल हिल में हुई हिंसा और भारत में लालकिले पर हुई हिंसा का उदाहरण दिया। सरकार ने संकेत दिए कि ट्विटर ने कैपिटल हिल में हिंसा के बाद कई अकाउंट्स को बंद किया, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अकाउंट भी शामिल था। ऐसे में फिर जब भारत में 26 जनवरी के दिन गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई हिंसा के बाद अकाउंट्स बंद क्यों नहीं किए जा रहे हैं।</p>
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ट्विटर के साथ बैठक में भारत सरकार ने टूलकिट का भी जिक्र किया, आरोप लगाया कि ट्विटर का इस्तेमाल इस तरह से गलत कैंपेन चलाने के लिए किया जा रहा है। आपतो मालूम हो कि किसान आंदोलन को लेकर अमेरिकी पॉपस्टार रिहाना, एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने भी ट्वीट किया था। ग्रेटा ने साथ ही एक टूलकिट ट्वीट की थी, जिससे मालूम चला था कि सेलेब्रिटीज़ को ट्वीट करने का वक्त और कंटेंट पहले से ही तय था। भारत सरकार की ओर से उन ट्विटर अकाउंट्स को लेकर आपत्ति जाहिर की गई, जिन्होंने किसान आंदोलन के दौरान विवादित हैशटेग को बढ़ावा दिया था।</p>
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<strong>मामना होगा आदेश</strong></p>
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सरकार से जुड़े एक सूत्र ने कहा, "ट्विटर को आदेशों का पालन करना ही होगा। यह बातचीत का विषय नहीं है। यह देश का कानून है और अगर किसी को हमारी कार्रवाई से दिक्‍कत है तो आप कानूनी रास्‍ता अख्तियार करने को स्‍वतंत्र हैं।" केंद्र को लगता है कि ट्विटर को फौरन उसका आदेश मानना चाहिए। सूत्र ने कहा, "अगर वे हिचकते हुए या अनिच्‍छा दिखाते हुए ऐसा करते हैं या फिर आदेश मानने में 10-12 दिन लगा देते हैं तो इसे अनुपालन नहीं कहा जा सकता।"</p>

आईएन ब्यूरो

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