INS Vagir Submarine: चीन-पाक के सफाए को भारत ने उतारा समुद्री शिकारी आईएनएस वागिर

दुश्मन का नाम भले ही न लिया जाए लेकिन सब जानते हैं कि कच्छ का रण-हिमालय की चोटी या फिर हिंद महासागर दुश्मन मौका मिलते ही डंक मारने की फिराक में रहते हैं। भारत ने दुश्मन को माकूल जवाब देने के तैयारी कर रहा है। इसी तैयारी के मद्देनजर हिंद महासागर में दुश्मनों का सफाया करने के लिए भारत ने समुद्र की गहराईयों में 'शिकारी'  को उतार दिया है। भारतीय नौसेना (Indian Navy)  के इस समुद्री शिकारी का नाम आईएनएस वागिर (INS Vagir Submarine) है। आईएनएस वागिर (INS Vagir Submarine) दबे पांव दुश्मन पर वार करता है। वार भी इतना घातक और सटीक कि आईएनएस वागिर (INS Vagir Submarine) ने अगर सोच भी लिया तो समझो दुश्मन गया।

आईएनएस वागिर (INS Vagir) से भारतीय नौ सेना की ताकत में बहुत इजाफा हुआ है। चीन और पाकिस्तान के पसीन छूटने लगे हैं। वागिर मई महीनों तक समुद्र के भीतर रह कर बड़े-बड़े ऑपेरशंस को चुपचाप अंजाम तक पहुंचाने में सक्षम है।  मुंबई के मझगांव डॉक पर स्कॉर्पीन क्लास की 5वीं पनडुब्बी 'वागिर' (INS Vagir) का जलावतरण गुरुवार को हुआ।। रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसका लोकार्पण किया। इसके साथ ही नौसेना की ताकत काफी बढ़ गई है।

इस पनडुब्बी का नाम हिंद महासागर की शिकारी मछली 'वागिर' के नाम पर रखा गया है। पहली 'वागिर' पनडुब्बी रूस से प्राप्त की गई थी, जिसे भारतीय नौसेना में तीन दिसंबर 1973 को शामिल किया गया था। और सात जून 2001 को तीन दशक की सेवा के बाद सेवामुक्त किया गया था। ये पनडुब्बियां सतह पर, पनडुब्बी रोधी युद्ध में कारगर होने के साथ खुफिया जानकारी जुटाने, समुद्र में बारूदी सुरंग बिछाने और इलाके में निगरानी करने में भी सक्षम हैं।

रडार से बचने के लिए पनडुब्बी में आधुनिकतम टेक्नॉलजी का इस्तेमाल किया गया है। जैसे कि आधुनिक ध्वनि को सोखने वाली तकनीक, कम आवाज और पानी में तेज गति से चलने में सक्षम आकार। इसमें दुश्मन पर सटीक निर्देशित हथियारों से हमले की भी क्षमता है। यह पनडुब्बी टॉरपीडो से हमला करने के साथ और ट्यूब से लांच की जाने वाली पोत रोधी मिसाइलों को पानी के अंदर और सतह से छोड़ सकती है। एमडीएल के मुताबिक पानी के भीतर दुश्मन से छिपने की क्षमता इसकी विशेषता है, जो पूरी तरह से सुरक्षित है और अन्य पनडुब्बियों के मुकाबले इनका कोई तोड़ नहीं है।

प्रॉजेक्ट-75 के (Project 75) तहत भारत छह सबमरीन तैयार करने पर काम कर रहा है। मझगांव डॉक शिप बिल्डर्स लिमिटेड और फ्रांस की कंपनी नेवल ग्रुप (DCNS) के सहयोग से स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन के प्रॉजेक्ट पर काम चल रहा है। दोनों कंपनियों के बीच 6 सबमरीन तैयार करने लिए 2005 में करार हुआ था। इसी प्रॉजेक्ट के तहत लॉन्च हुई 'वागिर' पनडुब्बी अरब सागर में भारत की ताकत को नई बुलंदियों तक पहुंचाएगी।

इससे पहले मझगांव डॉक लिमिटेड में चौथी स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन वेला को लॉन्च किया गया था। अभी तक आईएनएस कलवरी, आईएनएस खंडेरी, आईएनएस करंज, आईएनएस वेला और अब आईएनएस वागिर मिल गई है। अब आईएनएस वागशीर भी जल्द ही लॉन्च होगी। आधुनिक तकनीकों से लैस ये सभी पनडुब्बियां दुश्मनों के लिए 'साइलेंट किलर' का काम करेंगी। ये सभी स्कॉर्पीन सबमरीन एंटी-सरफेस वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर, माइन बिछाने और एरिया सर्विलांस करने में कुशल हैं।.

सतीश के. सिंह

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