आईटीबीपी के 21 जवानों को गैलेंटरी अवॉर्ड देने की सिफारिश

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने उन सभी जवानों को गैलेंटरी अवॉर्ड देने की सिफारिश की है, जिन्होंने मई और जून 2020 के बीच पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों के साथ झड़पों के दौरान बहादुरी से डटकर हमले का सामना किया। पर्वतारोहण विशेषज्ञ बल, आईटीबीपी के इन जवानों ने इस साल वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गलवान घाटी में भारत व चीन के बीच पांच मई से शुरू हुए गतिरोध के दौरान बहादुरी का परिचय दिया।

आईटीबीपी ने कहा, "लद्दाख सीमा पर चीनी सैनिकों से झड़प के दौरान यह सैनिक न केवल ढाल बने, बल्कि चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों का डटकर मुकाबला किया और स्थिति को अपने नियंत्रण में रखा।"

इसके साथ ही आईटीबीपी जवानों ने कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी और सेना के घायल जवानों को वापस भी लेकर आए। गलवान घाटी में 15 जून की रात भारत व चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। झड़प में कुछ चीन के सैनिकों के हताहत होने की भी खबर है, मगर इस संबंध में चीन ने अभी तक चुप्पी साध रखी है।

अर्धसैनिक बल ने कहा, "आईटीबीपी के इन जवानों ने चीनी सेना के खिलाफ पूरी रात लड़ाई लड़ी। जवानों ने पीएलए की ओर से किए गए पथराव का माकूल जवाब भी दिया। इन जवानों ने करीब 17 से 20 घंटे तक चीनी सेना का मुकाबला किया। खास बात है कि इस लड़ाई के दौरान आईटीबीपी के कम से कम जवान शहीद हुए।"

आईटीबीपी ने कहा कि हिमालय में तैनाती के दौरान प्राप्त किए गए बेहद ऊंचाई वाले प्रशिक्षण और युद्धाभ्यास के अनुभव के कारण उसके सैनिकों ने पीएलए सैनिकों से डटकर मुकाबला किया।

अर्धसैनिक बल ने साथ ही कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले 318 आईटीबीपी कर्मियों और 40 अन्य केंद्रीय पुलिस फोर्स के जवानों के लिए केंद्रीय गृहमंत्री विशेष पुरस्कार की सिफारिश की है।

आईटीबीपी जनवरी 2020 से कोविड-19 की लड़ाई में सबसे आगे रही है। सुरक्षा बल की ओर से वुहान और इटली से लोगों को लाने के बाद छावला कैंप में सबसे बड़ा क्वारंटीन सेंटर स्थापित किया गया। इसके अलावा आईटीबीपी के पास 10 हजार बेड वाले सरदार पटेल कोविड केयर और राधास्वामी व्यास अस्पातल के प्रबंधन की भी जिम्मेदारी है।

आईटीबीपी के प्रमुख एस.एस. देसवाल की ओर से स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर 294 आईटीबीपी कर्मियों को डीजी प्रशंसापत्र और प्रतीक चिह्न् भी से सम्मानित किया गया। वहीं छह अन्य जवानों को छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के विरुद्ध सफल अभियानों के लिए डीजी प्रशंसापत्र और प्रतीक चिह्न् प्रदान किया गया है।.

डॉ. शफी अयूब खान

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