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देश की बेटी का विदेश में परचम, Jamia की छात्रा ईशा स्पेस सस्टेनेबिलिटी अवार्ड से सम्मानित

जामिया मिल्लिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) की पूर्व स्टूडेंट ईशा ने नेक्स्ट जनरेशन के उपग्रहों के लिए एक अभिनव सेलिंग डिवाइस की अवधारणा विकसित की है। इस सेलिंग डिवाइस में न्यूनतम सेल एरिया और मास के साथ लगातार ऑर्बिटल डीके रेट को बढ़ाने की क्षमता है। यह आइडिया पेटेंट के लिए भी दायर किया गया है। यह पुरस्कार युवा वैज्ञानिकों को उनके आइडिया की सराहना के लिए दिया जाता है, जो अंतरिक्ष के सतत उपयोग को बढ़ावा देता है। इसी के साथ ये वैज्ञानिकों को ईआईएससी में अपने आइडिया रखने के लिए एक मंच भी प्रदान करता है। जामिया की कुलपति प्रो.नजमा अख्तर ने इस उपलब्धि के लिए ईशा को बधाई दी और आशा व्यक्त की कि यह विश्वविद्यालय की अन्य छात्राओं को बड़े सपने देखने और कड़ी मेहनत और लगन से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करेगा।

जर्मनी में रिसर्च एसोसिएट का कर रही हैं काम

ईशा वर्तमान में जर्मनी में लाइबनिज-इंस्टीट्यूट ऑफ कम्पोजिट मैटेरियल जीएमबीएच (Leibniz-Institut für Polymerforschung Dresden e. V.) में कंपोनेंट डेवलपमेंट विभाग रिसर्च एसोसिएट के रूप में काम कर रही हैं। जामिया से बीटेक पूरा करने के बाद उन्होंने डेढ़ साल तक कंसल्टेंसी सर्विस में काम किया और फिर नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी और म्यूनिख के टेक्निकल यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स करने के लिए सिंगापुर के लिए उड़ान भरी। उनके पिता डॉ अनिल कुमार जामिया के हिंदी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं।

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ईशा जामिया में बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी (बीटेक) मैकेनिकल इंजीनियरिंग की छात्रा थी।यह ‘स्पेशल मेन्शन ऑफ ज्यूरी’ श्रेणी में पुरस्कार समारोह 16 सितंबर को फ्रांसीसी सीनेट, पेरिस, फ्रांस में आयोजित किया गया। जामिया मिल्लिया इस्लामिया (JMI) में विभिन्न तरह के रिसर्च प्रोजेक्ट पर छात्र काम कर रहे हैं। इस केंद्रीय विश्वविद्यालय में छात्रों में रिसर्च को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। वर्ष 2020-21 में कोरोना की फर्स्ट वेव और सेकेंड वेव के दौरान भी इस वायरस की रोकथाम व अन्य बीमारियों पर छात्रों ने लगातार शोध भी किया था। विश्वविद्यालय के कई पूर्व छात्र व छात्राओं की तरफ से लगातार कई तरह की उपलब्धियों को हासिल किया जा रहा है।

आईएन ब्यूरो

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