Jammu Drone Attack: यमन के हूती विद्रोहियों और पाकिस्तानी आतंकियों गठजोड़ का नतीजा है जम्मू एयरबेस पर हुआ ड्रोन अटैक!

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जम्मू में एयरफोर्स स्टेशन पर हुए ड्रोन हमले से सुरक्षा एजेंसियों के सामने नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। पांच मिनट के अंदर दो धमाके हुई, आशंका जताई जा रही है कि, आतंकियों ने क्वॉडकॉपर ड्रोन्स के जरिए एयरफोर्ट स्टेशन पर आसमान से विस्फोटक गिराए हैं। एयरबेस पर हमले के लिए ठीक यही तरीका यमन में सक्रिय हुती विद्रोही भी अपनाते हैं। उनके ड्रोन कई किलोमीटर की दूरी को तय करते हुए सऊजी अरब के एयरबेस पर हमला करते हैं।</p>
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हालांकि, अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि जम्मू के एयरफोर्स स्टेशन पर हमला करने वाले ड्रोन सीमापार से आए थे या फिर किसी स्थानीय आतंकियों ने इसे अंजाम दिया है। हूती विद्रोही आए दिन सऊदी के एयरबेस को निशाना बनाते हैं। जिसके कारण सऊदी को भारी नुकसान उठाना पड़ता है, इन विद्रोहियों को ईरान मदद करता है। ऐसी कई रिपोर्ट्स हैं, जिनमें कहा गया है कि हूती विद्रोहियों को ईरान की सेना से हथियार, ड्रोन और अन्य विस्फोटक मिलते हैं। इन विद्रोहियों के पास चीन में बने ड्रोन भी हैं, जिनका इस्तेमाल ये लोग करीब से हमला करने के लिए करते हैं।</p>
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द नेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, हूती विद्रोहियों ने खुद की ड्रोन इंडस्ट्री बनाई हुई है। ड्रोन बनाने के लिए जो पार्ट चाहिए होते हैं वो सीमा पार और ईरान से मिल जाते हैं। इन्होंने रिवर्स इंजीनियरिंग के जरिए ड्रोन के हिस्सों को जोड़ना और घर पर बनाना सीख लिया है। ईरान इन विद्रोहियों को तकनीकी सहायता और इंजीनियर भी मुहैया कराता है। यही वजह है कि ये लोग एक सामान्य से ड्रोन को घातक हथियार में तब्दील कर देते हैं। हूती विद्रोहियों के सभी ड्रोन ईरानी तकनीक से बने हैं। ये लोग हमले करने के लिए चीनी ड्रोन भी इस्तेमाल करते हैं।</p>
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<strong>इन ड्रोन का इस्तेमाल करते हैं हुती</strong></p>
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हूती विद्रोही हमलों में सबसे ज्यादा कासिफ नाम के ड्रोन का इस्तेमाल करते हैं। जिसका तकनीक ईरानी ड्रोन अबाबील से काफी मिलती जुलती है। हूती जिस कासिफ ड्रोन का इस्तेमाल करते हैं वह ड्रोन 150 किलोमीटर की दूरी से हमला कर सकता है।</p>
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साल 2018 में विद्रोहियों ने दावा किया था कि इन्होंने अपने नए लॉन्ग रेंज वाले ड्रोन समद-3 से 1200 किलोमीटर की दूरी से दुबई एयरपोर्ट पर हमला किया है। यहां तक रियाद एयरपोर्ट पर हमला करने का इन्होंने दावा भी किया था। हालांकि, सार्वजनिक तौर पर समद-3 ड्रोन को इस्तेमाल किए जाने से जुड़ी कोई तस्वीर सामने नहीं आई है। इसके अलावा इस ड्रोन की तकनीक भी ईरान के ड्रोन से नहीं मिलती है।</p>
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आईएन ब्यूरो

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