Hindi News

indianarrative

Jammu-Kashmir के लोग जिसे अपना नेता मान रहे थे वो निकला आतंकी, भरी अदालत में Yasin Malik ने कहा- हां मैं आतंकी गतिविधियों में शामिल था

अदालत में कश्मीरी अलगाववादी यासीन मलिक ने कहा- हां मैं कई सालों से आतंकी गतिविधियों में शामिल था

जम्मू कश्मीर में एक समय था जब यहां पर जमकर खून की नदियां बहाई गई। कश्मीर पंडितों को ही उनके घरों से बाहर कर दिया गया और पूरे घाटी में जेहाद का कब्जा हो गया। घाटी में जेहाग फैलान में सबसे बड़ा हाथ पाकिस्तान का रहा और उसे साथ दिया घाटी के ही कुछ लोगों ने। जिनपर जम्मू-कश्मीर के लोगों ने भरोसा कर अपना नेता चुना। कुछ नेताओं ने घाटी के लोगों को धोखा देते हुए जमकर कश्मीर में आंतक फैलाया। जिसमें से एक है अलगाववादी नेता यासीन मिलक जिसने स्वीकार कर लिया है कि वो आतंकियों के साथ मिला था।

NIA कोर्ट ने यासीन मिलक को टेरर फंडिंग मामले में दोषी पाया है। उसे इस मामले में कितनी सजा मिलेगी इसपर फैसला 25मई को होगा। बीते दिनों ही यासीन ने कबूला था कि, वह कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल था। इसी महीने खबरें आई थीं कि यासीन मलिक ने मान लिया है कि वो आतंकी गतिविधियों में शामिल था, उसने आपराधिक साजिशें भी रची थीं और उस पर लगीं देशद्रोह की धारा भी सही हैं। यासीन पर जो UAPA के तहत धाराएं लगी हैं, उसे भी उसने स्वीकार कर लिया था।

पटियाला हाउस स्थित विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह की अदालत ने एनआईए अधिकारियों को जुर्माना की राशि निर्धारित करने के लिए मलिक की वित्तीय स्थिति का आकलन करने और सजा पर बहस के लिए मामले को 25मई तक के लिए स्थगित करने के निर्देश दिए। मलिक ने अदालत से कहा था कि वह उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों का सामना नहीं करना चाहता। जिसमें यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी अधिनियम), 17 (आतंकवादी अधिनियम के लिए धन जुटाना), 18 (आतंकवादी कृत्य करने की साजिश) और 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) और धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) एवं आईपीसी की धारा 124-ए (देशद्रोह) शामिल हैं।

इससे पहले अदलाता ने फारूक अहमद डार उर्फ ​​बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसर्रत आलम, मोहम्मद यूसुफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवाल सहित कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए थे। बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल राशिद शेख और नवल किशोर कपूर। आरोप पत्र लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ भी दायर किया गया था, जिन्हें मामले में भगोड़ा घोषित किया गया है।

जिन धाराओं में यासीन के खिलाफ मामला दर्द किया गया उसके तहत उसको आजीवन कारावास की सजा मिल सकती है। यानीस मलिक कश्मीर की राजनीति में सक्रिय रहा है। युवाओं को भड़काने में उसका अहम हाथ माना जाता है।  मलिक जम्मू- कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) से जुड़ा है। 2019 में केंद्र सरकार ने JKLF पर प्रतिबंध लगा दिया था। वह अभी तिहाड़ जेल में बंद है। यासीन मलिक पर 1990 में एयरफोर्स के 4 जवानों की हत्या का आरोप है, जिसे उसने स्वीकारा था। उस पर मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण का आरोप लगे हैं।