कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग को लेकर पिछले 48 दिनों से चले आ रहे गतिरोध को खत्म करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीच का रास्ता अपनाते हुए तीनों कृषि कानूनों को  होल्ड कर दिया है। इसका अभिप्रायः यह समझा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति की सिफारिशों के आ जाने तक नए कानून स्थिर रहेंगे। हालांकि, अटार्नी जनरल ने इस बात की पुष्टि की है कि सुप्रीम कोर्ट ने कानूनों को होल्ड कर दिया, लेकिन कोर्ट के आर्डर की विस्तृत समीक्षा की जा रही है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान संकेत दिया था कि वह कृषि बिल के अमल पर रोक लगा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार या तो कानून के अमल पर रोक लगाए या फिर वह खुद होल्ड कर देगी।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने केंद्र सरकार की खिंचाई करते हुए कहा था कि उसने कृषि बिल के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन को सही तरह से हैंडल नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार की किसानों से जिस तरह से बातचीत चलती जा रही है और कोई नतीजा नहीं है वह बेहद निराशाजनक बात है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि क्या चल रहा है? राज्य आपके कानून का विरोध कर रहे हैं। अदालत ने कहा था कि वह बातचीत के प्रोसेस से हम दुखी हैं। एक भी अर्जी सुप्रीम कोर्ट में ऐसी नहीं है जो बता रहा हो कि कानून लाभकारी है। हम अर्थशास्त्र के एक्सपर्ट नहीं है, लेकिन सरकार बताए कि कानून के अमल पर रोक लगाएगी या फिर हम रोक लगाएं। अपनी नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सॉरी केंद्र सरकार ने किसानों के प्रदर्शन की समस्या का निदान करने में सक्षम नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह इस मामले में बातचीत के लिए कमिटी का गठन करेगी और कमिटी की अगुवाई सुप्रीम कोर्ट के रिटायर चीफ जस्टिस करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि हमारे धैर्य को लेकर हमें लेक्चर न दिया जाए। हमने आपको काफी वक्त दिया ताकि समस्या का समाधान हो। कृषि कानून के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम करो्ट ने संकेत दिए थे वह कानून के अमल पर तब तक रोक लगा सकती है जब तक कि कमिटी के सामने दोनों पक्षों की बातचीत चलेगी ताकि बातचीत के लिए सहूलियत वाले वातावरण हों। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही किसानों से कहा है कि वह वैकल्पिक जगह पर प्रदर्शन के बारे में सोचें ताकि लोगों को वहां परेशानी न हो। अदालत ने कहा कि किसान प्रदर्शन कर सकते हैं लेकिन साथ ही कहा कि वह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हिंसा न हो और सड़क पर खून न बहे।.
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