कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 35 दिनों से चल रहे आंदोलन का हल निकलने की संभावना बनती दिखाई दे रही है। बुधवार को सातवें दौर की वार्ता के दौरान किसान नेताओं और सरकार के मंत्रियों ने साथ-साथ लंगर छका और  गरमागरम पूरी-सब्जी और हलवे का स्वाद लिया। सरकार की ओर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पियूष गोयल के अलावा तमाम बड़े अफसर और किसानों की ओर लगभग सभी गुटों के नेता शामिल थे। ध्यान रहे इससे पहले छह बार हो चुकी वार्ता में किसानों ने सरकार के साथ भोजन कभी नहीं किया। हमेशा अपने साथ लाए भोजन को ही ग्रहण किया और सराकर की मेज कुर्सी छोड़ फर्श पर बैठ कर भोजन खाया था। इस बीच यह खबर भी मिल रही है कि किसानों ने ट्रैक्टर रैली एक महीने बाद 26 जनवरी को करने का फैसला किया है।
विज्ञान भवन जाने से पहले किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अगर सरकार दो कदम पीछे हट रही है तो किसानों को भी ढाई कदम पीछे हटना चाहिए। राकेश टिकैत के इस बयान से यह संकेत मिलने शुरु हो गए थे कि आज समाधान निकल सकता है।
इस बीच किसान संगठनों और सरकार के बीच सातवें दौर की बातचीत विज्ञान भवन में जारी है।  500 लोगों का खाना लेकर दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमेटी की गाड़ी विज्ञान भवन पहुंची है। किसान संगठनों ने मीटिंग में 4 प्रमुख मुद्दे उठाए हैं। पहला मुद्दा तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने का है। दूसरी प्रमुख मांग एमएसपी को कानूनी जामा पहनाने और तीसरी मांग एनसीआर में प्रदूषण रोकने के लिए बने कानून के तहत एक्शन के दायरे से किसानों को बाहर रखने की है। चौथी मांग के तौर पर विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे को वापस लेने की बात कही है।.
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