International Women’s Day: आज 8 मार्च को क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस? जानें इसका महत्व

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के बारे में आपने सुना होगा, लेकिन यह क्यों मनाया जाता है? और कब से इसे मनाने की शुरुआत हुई क्या ये आप जानते हैं? दरअसल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन एक श्रम आंदोलन था, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने सालाना आयोजन के तौर पर स्वीकृति दी। इस आयोजन की शुरुआत का बीज 1908 में तब पड़ा, जब न्यूयॉर्क शहर में 15 हज़ार महिलाओं ने काम के घंटे कम करने, बेहतर वेतन और वोट देने की माँग के साथ विरोध प्रदर्शन निकाला था।</p>
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Saluting our indomitable <a href="https://twitter.com/hashtag/NariShakti?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw">#NariShakti</a> on International Women's Day! India takes pride in the many accomplishments of the women of our nation. It is our Government’s honour to be getting the opportunity to work towards furthering women empowerment across a wide range of sectors.</p>
— Narendra Modi (@narendramodi) <a href="https://twitter.com/narendramodi/status/1368751777655312387?ref_src=twsrc%5Etfw">March 8, 2021</a></blockquote>
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इसके एक साल बाद अमेरिकी सोशलिस्ट पार्टी ने पहली बार राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत की। महिलाएं समाज में, राजनीति में और अर्थशास्त्र में कहाँ तक पहुँची हैं, इसके जश्न के तौर पर इंटरनेशनल वीमेंस डे का आयोजन होता है, लेकिन इस आयोजन के केंद्र में प्रदर्शन की अहमियत रही है, लिहाज़ा महिलाओं के साथ होने वाली असमानताओं को लेकर ज़ागरूकता बढ़ाने के लिए विरोध प्रदर्शन का आयोजन भी होता है। सबसे पहले साल 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया था। लेकिन तकनीकी तौर पर इस साल हम 109वां अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रहे हैं।</p>
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इस साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम है – #ChooseToChallenge।यह थीम इस विचार से चुना गया है कि बदलती हुई दुनिया एक चुनौतीपूर्ण दुनिया है और व्यक्तिगत तौर पर हम सब अपने विचार और कार्य के लिए ज़िम्मेदार हैं।</p>
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आज महिलाएं किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं हैं। वे हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। बावजूद इसके महिलाओं का उत्पीड़न और लिंगभेद जैसी कुरीतियां आज भी समाज का हिस्सा हैं। कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान तो महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा के मामले काफी बढ़ गए थे। हालांकि, संविधान ने महिलाओं को कई अधिकार दिए हैं, जिसकी मदद से वे अपने हक की लड़ाई लड़ सकती हैं।</p>

आईएन ब्यूरो

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