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कश्मीर के प्रवासी पंछी लेकर आये शांति का संदेश- घाटी से लंबे समय से रहा है जुड़ाव

Wetland Migratory Birds: धरती के स्वर्ग यानी कश्मीर में हर साल लाखों की संख्या में प्रवासी पक्षी दुनिया के कई कोनों से पहुंचते हैं। यह पक्षी दुनिया की उन जगहों से आते हैं, जहां पारा माइनस 30 डिग्री तक गिर जाता है। नार्थ यूरोप, साइबेरिया, चाइना, सेंट्रल एशिया में सभी झीलें जब ठंड से जम जाती हैं तो ये पंक्षियां कश्मीर (Wetland Migratory Birds) की ओर लौटते हैं। अब एक बार फिर से मौसम बदलते ही कश्मीर के श्रीनगर में पक्षी अपने वेटलैंड (Wetland Migratory Birds) निवास में पहुंचने लगे हैं।

Wetland Migratory Birds

कश्मीर में आने लगे प्रवासी पक्षी
धरती का स्वर्ग कहे और मध्य-एशियाई फ्लाईवे क्षेत्र में स्थित कश्मीर में जब मौसम करवट बदलता है तो यह जगह वाकई में स्वर्ग से कम नहीं लगता। कश्मीर काफी लंबे समय से विभिन्न प्रकार के प्रवासी पक्षियों के लिए एक शीतकालीन मैदान यानी ठंड के मौसम में इनका घर रहा है। 20वीं शताब्दी के सबसे प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी सलीम अली को कश्मीर को “पृथ्वी पर प्रवासी पक्षियों के लिए स्वर्ग” के रूप में वर्णित करने का श्रेय दिया जाता है।

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दुनिया में डंठ बढ़ते ही कश्मीर आ जाते हैं ये पक्षी
कश्मीर घाटी, जिसे “पृथ्वी पर स्वर्ग” के रूप में जाना जाता है, अपने सुरम्य दृश्यों के लिए ज्यादा प्रसिद्ध है। जिसमें बर्फ से ढके पहाड़, हरे-भरे घास के मैदान और अन्य प्राकृतिक विशेषताएं शामिल हैं। दुनिया भर के पक्षी कश्मीर आना पसंद करते हैं और यहां के आर्द्रभूमि में महीनों बिताते हैं, जबकि दुनिया भर के यात्री बसंत, गर्मी, शरद ऋतु और सर्दियों सहित सभी चार मौसमों का आनंद लेने के लिए कश्मीर की यात्रा करना पसंद करते हैं।

Wetland Migratory Birds

पक्षियों का कश्मीर से काफी लंबे समय से रहा है रिश्ता
इस साल की सर्दी शुरू होने के साथ ही कश्मीर घाटी में प्रवासी पक्षियों का भी आगमन शुरू हो गया है। इस दौरान पक्षियों को घाटी के वेटलैंड में नाचते हुए देखा जा सकता है। जब तापमान बदलता है तो ये पक्षी कश्मीर चले आते हैं। पक्षियों का कश्मीर के साथ जुड़ाव काफी लंबे समय से जारी है। जानकारों के अनुसार, अक्टूबर के महीने से ये पक्षी साइबेरिया, चीन, फिलीपींस, पूर्वी यूरोप और जापान से घाटी की ओर पलायन करते हैं और यहां करीब पांच महीने तक रहते हैं।

भिन्न-भिन्न प्रजाति के प्रवासी पक्षी
इन पक्षियों में टफ्टेड डक, गुडवाल, ब्राह्मणी डक, गर्गेंटुआन, ग्रेलेग गूज, मैलार्ड, कॉमन मर्गेंसर, नॉर्दर्न पिंटेल, कॉमन पोचर्ड, फेरुजिनस पोचर्ड, रेड क्रेस्टेड पोचर्ड, रूडी शेल्डक, नॉर्दर्न शोवेलर, कॉमन टील और यूरेशियन वैगटेल शामिल हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये प्रवासी पक्षी “पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने में बहुत मदद करते हैं।” वे ग्रह के संतुलन को बनाए रखते हैं। कश्मीर में इन जल पक्षियों का व्यवस्थित प्रवेश देखने लायक है। जब वे उड़ते हैं, तो वे एक लंबी रेखा बनाते हैं और आकाश में एक काली रेखा छोड़ते हुए एक साथ चलते हैं।

Wetland Migratory Birds

मनुष्य के समान होती है इन पक्षियों की छठी इंद्रिय
यूरेशिया रिवार्बलर की एक रिपोर्ट के अनुसार, ये पक्षी अक्सर उत्तरी स्थानों की ओर अधिक आकर्षित होते हैं, हालांकि, कभी-कभी वे अपना मन बदल भी लेते हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, ये पक्षी अपनी लंबी उड़ानों को आरामदायक बनाने के लिए समकालीन उड्डयन में “विमानन” के रूप में जानी जाने वाली प्राकृतिक क्षमता का उपयोग करते हैं। साथ ही यह भी पता चला है कि, पक्षी अधिक बुद्धिमान होते हैं और उनकी छठवीं इंद्रिय मनुष्यों के समान होती है।

इन जगहों पर आते हैं पक्षी
कश्मीर घाटी के जलस्रोतों में इन विभिन्न प्रकार और रंग-बिरंगे प्रवासी पक्षियों की उपस्थिति, उनकी चहचहाहट और मीठी बोली हवा में एक अलग ही मिठास पैदा करती है। इन पक्षियों के आगमन के साथ, वन्यजीव से लगाव रखने वाले कश्मीर के वेटलैंड्स के साथा ही होकरसर, वुलर झील, हेगाम, शालाबुघ और अन्य जगहों पर इन्हें देखने लिए आते हैं।

Wetland Migratory Birds

पक्षियों की सुरक्षा की तैयारी में सरकार
वहीं, इन पक्षियों का पिछले साल अवैध शिकार को बढ़ने लगा था जो संबंधित विभाग के लिए चितां बन गई थी। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि, इस पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है। अधिकारियों के मुताबिक सर्दियों में कश्मीर में आने वाले इन प्रवासी पक्षियों का शिकार काफी कम हो गया है। सरकार इन पक्षियों की सुरक्षा के लिए तैयारी कर रही है। इन मेहमानों को शांत वातावरण देने के लिए विभाग ने कश्मीर के सभी जल आश्रयों में सही जल स्तर बनाए रखने के लिए कई उपाय किए हैं।

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शांति का संदेश देते ये प्रवासी पक्षी
प्रवासी पक्षियों ने शांति का संदेश लेकर कश्मीर के ऊपर उड़ने का फैसला किया है। इस बार, उनकी चहचहाहट हमें याद दिलाती है कि दशकों के आघात को शांति के युग में बदलने की जरूरत है, और उनका प्रवासन हमें याद दिलाता है कि घाटी के बाहर रहने वाले लोग वास्तव में कश्मीर की यात्रा करना चाहेंगे। उन्हें हमसे केवल आतिथ्य और शांति बनाए रखने की आवश्यकता है।

(लेखक- फारूख गंदरबली, वॉयस फॉर पीस एण्ड जस्टिस के प्रेसिडेंट हैं)

आईएन ब्यूरो

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