रामकृष्ण उपाध्याय
बेंगलुरु: कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के दो महीने से भी कम समय में बेलगावी ज़िले में दिगंबर जैन साधु की एक के बाद एक नृशंस हत्या और कर्नाटक के टी नरसीपुरा में एक हिंदू कार्यकर्ता की हत्या के बाद कांग्रेस पर उस “जंगल राज” वापसी के आरोप लगने लगे हैं, जिसका नेतृत्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 2013-18 के दौरान मुख्यमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल में किया था।
पुलिस ने चिक्कोडी में हिरेकोड़ी आश्रम के संत और अधेड़ उम्र के आचार्य कामकुमार नंदी महाराज का क्षत-विक्षत शव एक परित्यक्त कुएं से बरामद किया और हत्या के सिलसिले में दो लोगों को गिरफ़्तार किया। हालांकि, उन्होंने तुरंत यह कहते हुए मामले को बंद करने की मांग कर दी कि “यह वित्तीय विवाद में होने वाली हत्या थी।” लेकिन, विपक्षी भाजपा ने कड़ा विरोध जताया है और मांग की है कि सरकार हत्या के पीछे के उस “अनदेखे हाथों” को उजागर करे, जो “आईएसआई-शैली के ऑपरेशन जैसा दिखता है।”
पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और अन्य नेताओं ने कहा है कि जैन भिक्षु 42 एकड़ पैतृक संपत्ति छोड़ने के बाद एक साधारण आध्यात्मिक जीवन जी रहे थे और “पुलिस का कहना है कि उधार दिए गए 6 लाख रुपये वापस मांगने पर आरोपियों ने उनकी हत्या कर दी।यह बात पूरी तरह से निराधार है।”
अत्याचार और बर्बर हत्या
साधु को हाई-वोल्टेज बिजली के झटके दिए गए थे और उसके शरीर को नौ टुकड़ों में काट दिया गया था, जिसे एक आरोपी के फार्महाउस बोर-वेल में फेंक दिया गया था। स्थानीय पुलिस ने दावा किया है कि अपराध नारायण बसप्पा मुली और हसन सब मकबुल दलायत ने किया था और दोनों को गिरफ़्तार कर लिया गया है।
हालांकि, भाजपा नेता बसनगौड़ा पाटिल ने कहा कि दोनों आरोपी एक बड़े आईएसआई-गिरोह का हिस्सा थे, जो इस क्षेत्र में सक्रिय है और दिगंबर साधु की हत्या राज्य में सांप्रदायिक विद्वेष पैदा करने की एक बड़ी साज़िश का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि सिद्धारमैया सरकार इस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है और मांग की है कि सच्चाई की तह तक जाने के लिए इसकी जांच सीबीआई से करायी जाए।
सरकार ने ज़ोर देकर कहा है कि राज्य पुलिस जांच करने में सक्षम है, भाजपा ने वर्तमान में चल रहे विधानमंडल की कार्यवाही को रोक दिया है और बुधवार को राज्यपाल तवर चंद गहलोत से मुलाक़ात की और हत्या की सीबीआई जांच की मांग करते हुए एक ज्ञापन सौंपा।
कार्यकर्ता की हत्या
भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के गृह ज़िले मैसूर के टी नरसिपुरा में युवा ब्रिगेड कार्यकर्ता वेणुगोपाल की दिनदहाड़े हत्या पर भी सरकार को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले हनुमान जयंती समारोह के दौरान युवाओं के दो समूह आपस में भिड़ गये थे और हालांकि, पुलिस को घटना की जानकारी थी, लेकिन वे इसे बढ़ने से रोकने के लिए प्रभावी हस्तक्षेप करने में विफल रहे। बोम्मई ने कहा, यह हत्या “पुलिस और ज़िला प्रशासन की घोर लापरवाही और अक्षमता” का नतीजा थी।
यह बताते हुए कि मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धारमैया के पिछले कार्यकाल के दौरान आरएसएस, बजरंग दल और अन्य हिंदू कार्यकर्ताओं की 24 मौतें हुई थीं, जो अनसुलझी रहीं और उन्होंने पीएफ़आई और एसडीपीआई जैसे कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनों के ख़िलाफ़ लंबित मामलों को वापस ले लिया था, बोम्मई ने कहा कि वेणुगोपाल की हत्या हुई थी। सिद्धारमैया के मुख्यमंत्री के रूप में फिर से सत्तारूढ़ होने के साथ ही “जंगल राज” की वापसी का संकेत मिल रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा कार्यकर्ता इस क़ानून-व्यवस्था मशीनरी की विफलता के ख़िलाफ़ राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगे और इसे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के संज्ञान में भी लायेंगे।
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