राष्ट्रीय

ताजिए निपटे नहीं कि रामलीला की तैयारियों में जुट गए प्रयागराज के निसार

Muslim Preparing Ramlila Effigies: जहां देश में कुछ कट्टरपंथी मसुलाम नफरत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं तो वहीं, कुछ मुसलमान ऐसे भी हैं जो हिंदू और मुस्लिम एकता के लिए मिशाल बनते नजर आ रहे हैं। ये लगातार समाज को एक करने की कोशिश करते हैं। कुछ मसुलामन कट्टरपंथियों के बहकावे में आकर नफरत की राह पर चल पड़ते हैं ऐसे ही लोगों के लिए निसार अहमद एक सीख हैं, जो 62 साल की उम्र में गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश कर रहे हैं। संगम नगरी यानी प्रयागराज के रहने वाले निसार जितनी शिद्दत से ताजिया बनाते हैं उतने ही मन से रामलीला (Muslim Preparing Ramlila Effigies) में से जुड़ी सामग्रियां भी तैयार करते हैं। 12 साल की उम्र से ही वो राम लीला में बनने वाले पुतले (Muslim Preparing Ramlila Effigies) को तैयार कर रहे हैं, लगभग इस काम को वो 50 साल से करते आ रहे हैं और वो इसे हमेशा करना चाहते हैं। निसार उन लाखों मुसलमानों के लिए सीख हैं जो कटरपंथी मुसलमानों के बहकावे में आकर गलत राह पर भटक गए हैं।

प्रयागराज की पथरचट्टी रामलीला सबसे भव्य और आकर्षक होती है ये प्राचीन होने के साथ ही ऐतिहासिक भी है। निसार इसी रामलीला समिति के साथ 50 सालों से काम करते आ रहे हैं। वो प्रभु राम की सेवा में अंतिम सांस तक लगे रहना चाहते हैं। भाईचारे में यकीन रखने वाले निसार अहमद जैसे लोगों से समाज को प्रेरणा लेनी चाहिए। खासकर उन कट्टरपंथियों को जो आज हिंदू और मुस्लिमों के बीच नफरत पैदा कर रहे हैं।

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आईए जानते हैं क्या कहते हैं निसार अहमद
निसार कहते हैं कि, 12 साल की उम्र से पथरचट्टी रामलीला कमिटी के साथ काम करना शुरू कर दिया था। मैं तब अपने अब्बू बसीर अहमद से मदद किया करता था, जो चौकी तैयार करते और उसे सजाते भी थे। मैंने 4 पीएसी धूमनगंज में पेंटर का काम भी किया लेकिन एहसास हुआ कि मैं किसी और ही चीज के लिए बना हूं। उस वक्त ही मैंने रामलीला के साथ ही अपनी पूरी जिंदगी को बीताने का फैसला किया। उन्होंने बताया कि, 6 सदस्यों की डेडिकेटेड टीम रात-रात तक काम करके पुतला तैयार करती है और फिर उनमें रंग भरने का काम करती है। इस बार भी 25 सितंबर तक या उससे पहले काम पूरा करने के लिए सभी लोग जोर-शोर से लगे हुए हैं। उनका काम भगवान के लाइफ साइज पुतले को तैयार करने का है। इसके साथ ही रावण का रथ, तीर-धनुष, गदा, तलवार जैसे पारम्परिक शस्त्र भी तैयार किए जाते हैं।

भगवान हनुमान और रावण के पुतले तैयार कर रहे निसार का कहना है कि, दशहरा और रामलीला के समय पुतले बनाने और तैयार करने में भीतरी आनंद आता है। वह मुहर्रम में ताजिया भी तैयार करते हैं। उन्होंने कहा कि पूरा महीना ही बहुत व्यस्त रहता है लेकिन काम में हमें मजा आता है।

आईएन ब्यूरो

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