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MBA कर नौकरी छोड़ने वाले इस शख्स ने बनाई नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति

netaji subhash chandra bose statue

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) गुरुवार यानी आज राजपथ के पुनर्विकसित स्वरूप और नए नाम कर्तव्य पथ (Rajpath renamed Kartavya Path) का उद्घाटन करेंगे। इसके साथ ही इंडिया गेट के पास नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) की प्रतिमा का अनावरण भी किया जाएगा। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भव्य प्रतिमा को 280 मीट्रिक टन वजन वाले विशाल ग्रेनाइट पत्थर पर उकेरा गया है।

26,000 घंटे के अथक कलात्मक प्रयासों से मूर्तिकारों ने विशाल ग्रेनाइट पत्थर (Granite) को तराश कर 65 मीट्रिक टन वजन की इस प्रतिमा को तैयार किया है। काले रंग के ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित 28 फुट ऊंची यह प्रतिमा इंडिया गेट के पास एक छतरी के नीचे स्थापित की जाएगी। इस बात की जानकारी संस्कृति मंत्रालय ने बुधवार (7 सितंबर 2022) को दी।

संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, नेताजी (Netaji Subhas Chandra Bose) की इस प्रतिमा को पारंपरिक तकनीकों और आधुनिक औजारों का उपयोग करके पूरी तरह हाथों से बनाया गया है। इस प्रतिमा को अरुण योगीराज के नेतृत्व में मूर्तिकारों के एक दल ने तैयार किया है। इस विशाल ग्रेनाइट पत्थर को तेलंगाना के खम्मम से 1,665 किमी दूर नई दिल्ली तक लाने के लिए 100 फुट लंबा 140 पहियों वाला ट्रक विशेष रूप से तैयार किया गया था।

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मूर्तिकार अरुण योगीराज कौन हैं?

MBA की पढ़ाई कर चुके अरुण योगीराज (Arun Yogiraj) पांचवी पीढ़ी के मूर्तिकार हैं। वो मैसूरु महल के शिल्पकारों के परिवार से ताल्लुक रखते हैं, उनके पिता गायत्री और भुवनेश्वरी मंदिर के लिए काम कर चुके हैं। MBA की डिग्री लेने के बाद उन्होंने एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी की भी, लेकिन साल 2008 में मूर्तिकार बनने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी।

बता दें, महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा को अरुण योगीराज और उनकी टीम ने ही मिलकर इसे तैयार किया है। उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में जगद्गुरु शंकराचार्य के समाधि स्थल पर उनकी भव्य प्रतिमा का निर्माण मूर्तिकार अरुण योगीराज ने किया था।