W. Bengal ममता बनर्जी की बढ़ने वाली हैं मुश्किलें, बच नहीं पाएंगे BJP वोटर्स के हत्यारे, NCW ने बनाई 7 सदस्यीय टीम

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पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से लेकर और उसके बाद तक लगातार हिंसा को लेकर अबतक सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं। राज्य की ममता बनर्जी सरकार पर लगातार आरोप लगता रहा है कि TMC के कार्यकर्ताओं ने उन लोगों को निशाना बनाया जिन्होंने उनके खिलाफ जाकर वोट दिया है। खासकर बीजेपी नेताओं पर हमला और कार्यकर्ताओं की हत्या, मारपीट से लेकर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के अनगिनत मामले सामने आ चुके हैं। अब NHRC ने मामले की जांच के लिए 7 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है।</p>
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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण मिश्रा ने सात सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुसार पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा की शिकायतों की जांच के लिए समिति का गठन किया गया है। बताते चलें कि, कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार के चुनाव के बाद की हिंसा पर कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को वापस लेने के लिए न्यायालय में पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दी है। इसके साथ ही कलकत्ता हाईकोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को राज्य का दौरा करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश के बहाल रखा है।</p>
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<strong>सात सदस्यीय कमेटी गठन</strong></p>
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NHRC ने कहा है कि, सात सदस्यीय समिति में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष आतिफ रशीद, राष्ट्रीय महिला आयोग के सदस्य राजुलबेन एल देसाई, पश्चिम बंगाल राज्य मानवाधिकार आयोग के रजिस्ट्रार प्रदीप कुमार पांजा और एनएचआरसी सदस्य राजीव जैन की अध्यक्षता में शामिल हैं।</p>
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दरअसल, कलकत्ता हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल के नेतृत्व की पांच सदस्यीय पीठ ने ममता सरकार की पुनर्विचार की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार कोर्ट को केवल सूची देती है। वह यह नहीं चाहते हैं, जिस तरह से जांच की गई है, वह सही नहीं है। हमें कुछ नहीं चाहिए, पुलिस ने शिकायत दर्ज नहीं की।</p>
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बता दें कि चुनाव के बाद हिंसा को लेकर 18 जून को पांच सदस्यीय बेंच ने कहा था कि पहले तो राज्य सरकार लगे आरोपों को मान ही नहीं रही, लेकिन हमारे पास कई घटनाओं की जानकारी और सबूत हैं। इस तरह के आरोपों को लेकर राज्य सरकार चुप नहीं रह सकती। अदालत ने हिंसा की जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक समिति गठित करने का निर्देश दिया था। साथ ही राज्य सरकार को उस समिति का सहयोग करने को कहा था।</p>
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आईएन ब्यूरो

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