राष्ट्रीय

अदालत में Yasin Malik की सदेह उपस्थिति को रोकने के लिए NIA ने किया Delhi High Court का रुख़  

National Investigation Agency (NIA)  ने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ़्रंट (जेकेएलएफ़) प्रमुख यासीन मलिक की सदेह उपस्थिति के निर्देश देने वाले अदालत के आदेश में संशोधन की मांग करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख़ किया।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने आख़िरी आदेश में आतंकी फ़ंडिंग मामले में यासीन मलिक के लिए मौत की सज़ा या मृत्युदंड की मांग करने वाली National Investigation Agency (NIA)  की अपील पर सुनवाई करते हुए यासीन मलिक को 9 अगस्त, 2023 को सुनवाई की अगली तारीख़ पर अदालत के समक्ष उपस्थित होने के लिए वारंट जारी किया था। National Investigation Agency (NIA)  ने अपने आवेदन में कहा है कि यासीन मलिक को बहुत उच्च जोखिम वाले क़ैदियों की श्रेणी के तहत नई दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद किया गया है और इस प्रकार, वर्तमान आवेदन एक भारी सुरक्षा मुद्दे के संबंधित है।

इसलिए, यह ज़रूरी है कि सार्वजनिक व्यवस्था और सुरक्षा बनाये रखने के लिए प्रतिवादी/दोषी यासीन मलिक को इस माननीय न्यायालय के समक्ष सेदह रूप से पेश नहीं किया जाये। National Investigation Agency (NIA)  ने कहा, “उन्हें वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से कार्यवाही में शामिल होने की अनुमति दी जानी चाहिए।”

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 29 मई, 2023 को एनआईए की अपील पर यासीन मलिक को नोटिस जारी किया था, जिसमें आतंकी फ़ंडिंग मामले में उसके (यासीन मलिक) लिए मृत्युदंड/मौत की सज़ा की मांग की गयी थी। National Investigation Agency (NIA)  ने तर्क दिया था कि यह “दुर्लभ से दुर्लभतम” मामला है।

ट्रायल कोर्ट ने पिछले साल टेरर फ़ंडिंग मामले में यासीन मलिक को उम्रक़ैद की सज़ा सुनायी थी। सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की खंडपीठ ने प्रस्तुत दलीलों को नोट करने के बाद जेल अधीक्षक के माध्यम से यासीन मलिक को नोटिस जारी किया था, क्योंकि यासीन मलिक तिहाड़ जेल में बंद है। अदालत ने कहा, वह अपील में एकमात्र प्रतिवादी है।

इस बीच पीठ ने यासीन मलिक को 9 अगस्त, 2023 को सुनवाई की अगली तारीख़ पर अदालत में उपस्थित रहने के लिए प्रोडक्शन वारंट भी जारी किया था।

National Investigation Agency (NIA)  की ओर से पेश होते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यासीन मलिक चार भारतीय वायुसेना कर्मियों की हत्या और रुबैया सईद के अपहरण के लिए ज़िम्मेदार है। उन्होंने यह भी कहा कि अपहरण के बाद रिहा किए गए चार आतंकवादियों ने 26/11 के बॉम्बे हमलों की साज़िश रची थी।

National Investigation Agency (NIA)  की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आरोपी मलिक 1980 के दशक में हथियार चलाने का प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए पाकिस्तान चला गया था। आईएसआई ने उसे जेकेएलएफ़ का मुखिया बनने में मदद की थी।

National Investigation Agency (NIA)  ने अपनी अपील में कहा है कि यदि ऐसे खूंखार आतंकवादियों को केवल इस आधार पर मौत की सज़ा नहीं दी जाती है कि उन्होंने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है, तो इसके परिणामस्वरूप देश की सज़ा नीति पूरी तरह ख़त्म हो जायेगी और इसके परिणामस्वरूप एक रास्ता बन जायेगा, जिससे ऐसे खूंखार आतंकवादी को “राष्ट्र के विरुद्ध युद्ध” में शामिल होने, परेशान करने और नेतृत्व करने के बाद भी अगर ऐसा होता है,तो उसके पास मृत्युदंड से बचने का एक रास्ता होगा।

National Investigation Agency (NIA)  ने अपनी अपील में यह भी कहा कि ऐसे खूंखार आतंकवादियों द्वारा किया गया अपराध, जहां उनके ‘युद्ध के कृत्य’ के कारण, राष्ट्र ने अपने मूल्यवान सैनिकों को खो दिया है और न केवल सैनिकों के परिवार के सदस्यों,बल्कि पूरे देश के लिए अपूरणीय दुःख हुआ है।

National Investigation Agency (NIA)  ने कहा कि प्रतिवादी/अभियुक्त दशकों से घाटी में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहा है और उनका नेतृत्व कर रहा है और भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण रुचि रखने वाले खूंखार विदेशी आतंकवादी संगठनों की मदद से घाटी में सशस्त्र विद्रोह की साजिश रच रहा है, योजना बना रहा है, सांठ-गांठ कर रहा है और उसे अंजाम दे रहा है, भारत के एक हिस्से की संप्रभुता और अखंडता को हड़पने का प्रयास कर रहा है।

इससे पहले 25 मई 2022 को ट्रायल कोर्ट के जज ने टेरर फ़ंडिंग मामले में जेकेएलएफ़ नेता यासीन मलिक को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाते हुए कहा था कि मेरी राय में इस दोषी में कोई सुधार नहीं हुआ है। यह सही हो सकता है कि दोषी ने बंदूक भले ही साल 1994 में छोड़ दी हो, लेकिन साल 1994 से पहले उसने जो हिंसा की थी, उस पर उसने कभी अफ़सोस भी नहीं जताया।

इस मामले में प्रस्तुत National Investigation Agency (NIA)  की चार्जशीट में कहा गया है कि केंद्र सरकार को विश्वसनीय जानकारी मिली है कि हाफ़िज मुहम्मद सईद, जमात-उद-दावा के अमीर और हुर्रियत कॉन्फ़्रेंस के सदस्यों सहित अलगाववादी नेता प्रतिबंधित आतंकवादियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। हवाला सहित विभिन्न अवैध तरीक़ों के माध्यम से घरेलू और विदेश में धन जुटाने, प्राप्त करने और इकट्ठा करने के लिए एचएम, लश्कर आदि जैसे आतंकवादी संगठन का साथ ले रहा है।

National Investigation Agency (NIA)  ने अदालत के समक्ष यह भी कहा कि यह जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए किया गया है और इस तरह, उन्होंने सुरक्षा बलों पर पथराव, व्यवस्थित रूप से स्कूलों को जलाने के माध्यम से घाटी में व्यवधान पैदा करने की एक बड़ी साज़िश रची है, सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुंचाना और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ा है।

आईएन ब्यूरो

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