Hindi News

indianarrative

दिल्ली में आए तो Train से रेस जरूर लगाए- अब राजधानी की सड़कों पर दौड़ती नजर आएगी Metro

अब राजधानी की सड़कों पर दौड़ती नजर आएगी Metro

राजधानी दिल्ली में रहने वालों के लिए एक खुशखबरी है, अब दिल्लीवासी मेट्रो ट्रेन के साथ-साथ अपनी कार और बाइक चलाते हुए देखे जा सकते हैं। दिल्ली मेट्रो सड़क के बीच में लगभग 22 किलोमीटर लंबे रुट पर ट्रेन चलाने की योजना बना रही है। अगर ऐसा होता है तो सड़क पर मेट्रो दौड़ते हुए नजर आएगी। यह योजना दिल्ली मेट्रो के फेज 4 प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है।

Also Read: देश के गद्दारों के समर्थन में उतरी पाकिस्तानी प्रेमी Mehbooba Mufti

दिल्ली मेट्रो के फेज 4 के तहत रिठाला और नरेला के बीच छोटे आर्टिकुलेटेड डिब्बों की जगह पारंपरिक कोच वाले ट्रेन चलाने की योजना है। इसमें मेट्रो ट्रेन सड़ के बीचोबीच दोनों तरफ फेसिंग के बीच चलेगी। DMRC की प्लानिंग दुनिया भर में अन्य लाइट ट्रेन प्रोजेक्ट की तर्ज पर ही छोटी ट्रेन चलाने की है। DMRC के प्रबंध निदेशक मंगू सिंह नए अपने एक बयान में कहा है कि, हालांकि हम अलाइनमेंट को लेकर चीजें स्पष्ट हैं लेकिन किस तरह की ट्रेन होगी इसको लेकर विकल्प खुला हुआ है। सिंह ने कहा कि लाइट रेल प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल की जाने वाली शार्प कर्व्स , स्टीप ग्रेडिएंट्स का ध्यान रखा जाएगा। इसीलिए ऐसी ट्रेनों में छोटे डिब्बे होते हैं। उन्होंने कहा कि लाइट ट्रेन प्रोजेक्ट के 10-11 मीटर वाले कोच की बजाय दिल्ली मेट्रो के 22 मीटर लंबे कोच का ही इस्तेमाल किया जा सकता है।

इसके आगे उन्होंने कहा कि, तीन कोच एक साथ मिलकर एक ट्रेन यूनिट बनाते हैं, लाइट रेल प्रोजेक्ट की तकनीक अलग है ताकि छोटे और स्पष्ट कोच शार्प कर्व्स पर ऑपरेट किया जा सके। हालांकि, तकनीक वास्तव में महंगी है। दिल्ली का मेट्रोलाइट एक सस्ता सिस्टम हो सकता है क्योंकि कॉरिडोर में शार्प कर्व्स होने की संभावना नहीं है, लेकिन यह काफी सीधा एलाइनमेंट है। इसके आगे उन्होंने कहा कि, आखिरकार तकनीकी-आर्थिक विचारों को ध्यान में रखते हुए, हमने सोचा है कि इसके लिए ट्रेडिशनल मेट्रो कोच उपयुक्त हो सकते हैं, यह संभव है कि डीएमआरसी उस विकल्प को चुन सकती है।

Also Read: जम्मू-कश्मीर पहुंच कर अमित शाह ने Imran Khan की छीनी नींद और चैन!

उन्होंने बताया कि, कंपनी वर्तमान मेट्रो कोचों का उपयोग कर सकती है लेकिन पूरा कंसेप्ट मेट्रोलाइट का रहेगी। इसमें बड़ें स्टेशनों के बजाय सड़क के बीच में शेड वाले प्लेटफॉर्म, ऑटोमेटिक फेयर कलेक्शन की बजाय ट्रेनों के अंदर टिकट वैलिडेटर आदि शामिल हैं। जिसकी वजह से लाइट रेल सिस्टम की लागत मेट्रो नेटवर्क जैसी हाईकैपिसिटी वाले सिस्टम के आधे से भी कम है।