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इंडिया पर एटम बम से नहीं बल्कि दुश्मन इस खतरनाक हथियार से कर सकता है हमला, अजित डोभाल ने दी चेतावनी

NSA डोभाल ने दी चेतावनी

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने खतरनाक वायरस को जानबूझकर हथियार बनाया जाने को लेकर चिंता जताते हुए इसे 'चिंता का विषय' बताया है। साथ ही उन्होंने भारत को नई रणनीति की ओर काम करने की भी बात कही है। पुणे में 'आपदा और महामारी के युग में राष्ट्रीय सुरक्षा की तैयारी' विषय पर बोलते हुए अजीत डोभाल ने कहा कि, खतरनाक रोगाणुओं को जानबूझकर हथियारों का रूप दिया जाना एक गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने व्यापक राष्ट्रीय क्षमता बनाने और जैव-रक्षा, जैव-सुरक्षा निर्माण की जरूरत पर जोर दिया।

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अजीत डोभाल ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि आपदा और महामारी का खतरा किसी सीमा के अंदर एक सीमित नहीं रहता, इससे अकेले नहीं निपटा जा सकता और इससे होने वाले नुकसान को कम करने की जरूरत है। इसके आगे उन्होंने कहा कि, कोरोना वायरस महामारी और जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा सबक यह है कि सभी की भलाई ही सभी के जीवन को सुनिश्चित करेगी। महामारी के खतरों का पूर्वानुमान करने की जरूरत को रेखांकित किया है। बायोलॉजिकल रिसर्च के तर्कसंगत वैज्ञानिक उद्देश्य हैं, इसका दोहरा उपयोग बुरी तरह काम में लाया जा सकता है।

जलवायु परिर्वतन को लेकर उन्होंने कहा कि यह एक और खतरा है जिसके अप्रत्याशित परिणाम हो सकते हैं। यह संसाधनों की उपलब्धता को प्रभावित करता है जो लगातार कम पड़ता जा रहा है और यह प्रतिस्पर्धा के बदले टकराव का कारण बन सकता है। जलवायु परिवर्तन अस्थिरता और बड़े पैमाने पर आबादी का विस्थापन बढ़ा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि, 2030 तक भारत में 60 करोड़ लोगों के शहरी इलाकों में रहने की उम्मीद है। जलवायु परिवर्तन के कारण दक्षिण एशिया में निचले इलाकों से विस्थापन पहले से दबाव का सामना कर रहे शहरी बनियादी ढांचे पर बोझ और बढ़ा सकता है। ये सभी आंतरिक सुरक्षा प्रबंधन, आर्थिक सुरक्षा, पानी और खाद्य सुरक्षा के लिए समस्या पैद करेंगे।

डोभाल ने यह भी बताया कि, जहां तक राष्ट्रीय सुरक्षा और पर्यावरण की बात है, खुद में नए तरीके से बदलाव लाने की जरूरत है। क्योंकि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ऑटोमैटिक एवं मानवरहित प्रणालियों और डिजिटल बुनियादी ढांचों जैसी चौथी ओद्योगिक क्रांति के जरिए तेजी से औद्योगिक विकास हो रहे हैं। साथ ही सोशल मीडिया सुरक्षा प्रबंधन को जटिल बना रहा है। लोगों को गलत और प्रायोजित प्रचार से बचाना भू सूचना क्रांति के दौर में महत्वपूर्ण हो गया है और इन सभी चुनौतियों एवं रणनीतियों को अंरराष्ट्रीय सहयोग के लिए सुरक्षा योजना में शामिल करने की जरूरत है।

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अंत में उन्होंने यह कहा कि, अहम जलवायु परिवर्तन सम्मेल (COP26) नवंबर की शुरूआत में ग्लासगो में होने जा रहा है। भारत अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए कई उपाय किए गए हैं। प्रकृति के साथ तालमेल भारतीय सभ्यता की आधारशिला रही है।