Pakistan में रची गई Kabul Airport Blast की साजिश, ISI का खास गुर्गा और पाकिस्तानी नागरिक है IS-K चीफ असलम फारूखी

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काबुल एयरपोर्ट धमाके की जिम्मेदारी  ‘इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रांत’ (ISIS-K) ने ली है। अब इस हमले से जुड़े तार खुलने लगे हैं। इस हमले में भी पाकिस्तान कनेक्शन सामने आया है। ‘इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रांत’आतंकी संगठन तालिबान का दुश्मन माना जाता है औऱ वो नहीं चाहता की तालिबान का विस्तार हो। अफगानी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, माना जा रहा है कि काबुल एयरपोर्ट के पास हुई आतंकवादी हमलों की साजिश पाकिस्तान में रची गई है और इस भयंकर हमले के पीछे पाकिस्तान में रहने वाले आईएसआईएस के खूंखार आतंकी असलम फारूक का हाथ हो सकता है।</p>
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बता दें कि काबुल में कल हुए धमाकों में 100  से ज्यादा लोग मारे गए हैं। बता दें कि काबुल हमले में 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए हैं। अफगानी सूत्रों के हवाले से लिखा है कि शांति प्रक्रिया के तहत कई 'खतरनाक और खूंखार आतंकी' रिहा किए गए थे। यही आतंकी काबुल हमले के लिए जिम्‍मेदार हो सकते हैं। इसमें पाकिस्‍तान में आईएसआईएस का चेहरा अमीर मावलावी असलम फारूकी भी शामिल है और इस हमले के बीच इसी का हाथ हो सकता है।</p>
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असलम फारूकी पहले लश्कर-ए-तैयबा के साथ जुड़ा था और फिर बाद में तहरीक-ए-तालिबान के साथ आ गया। उसने अप्रैल 2019 में आईएसआईएस-के यानी आईएसकेपी प्रमुख के रूप में मावलवी जिया-उल-हक उर्फ अबू उमर खोरासानी की जगह ली। उसके साथ लश्कर-ए-तैयबा के हिस्से के रूप में चार पाकिस्तानी नागरिकों को भी गिरफ्तार किया गया था। फारूकी के साथ खैबर पख्तूनख्वा का मसूदुल्लाह, खैबर पख्तूनख्वा का खान मोहम्मद, कराची का सलमान और इस्लामाबाद का अली मोहम्मद गिरफ्तार हुआ था। तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जा करने के बाद, फारूकी को अन्य आतंकवादियों की तरह अफगान जेलों से रिहा किया गया था। वह आखिरी बार बगराम जेल में बंद था। फारूकी के बारे में दिलचस्प बात ये है कि भारत ने जब फारूकी से पूछताछ के लिए मंजूरी मांगी थी तो गठबंधन बलों ने इससे इनकार कर दिया था। वहीं, पाकिस्तान ने ISKP प्रमुख की हिरासत की मांग की थी।</p>
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रिपोर्ट में दावा किया गया है कि फारुकी जेल से रिहा होने के बाद अपने पुराने साथियों के साथ मिलकर काबुल एयरपोर्ट में धमाके की योजना बनाया। पाकिस्ता भी यहीं चाहता है कि अफगानिस्तान में स्थिति सामान्य हो, जिसका फायदा उठा कर आतंकी गतिविधियां चलाई जा सके।</p>

आईएन ब्यूरो

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