भारत चीन (China) के बीच सीमा विवाद पहले की भांति ही जारी है। हालांकि दोनों देश तनाव को कम करने के लिए लगातार वार्ता कर रहे हैं। इसी क्रम में आज यानी सोमवार को भारत और चीन 19वें राउंड की कोर कमांडर स्तर की वार्ता करेंगे। इस बैठक से पहले रक्षा अधिकारियों ने दावा किया है कि पूर्वी लद्दाख में सेना के जवान मुस्तैदी के साथ तैनात हैं, साथ ही भारतीय वायुसेना भी अपनी मजबूत स्थिति बनाए हुए है। रक्षा अधिकारियों का कहना है कि सेना इजरायली ड्रोन जैसी नई हथियार प्रणालियों को शामिल कर रही है, जो मिसाइल और बम ले जाने में सक्षम हैं।
सेना से जुड़े सूत्र ने बताया कि सेना, एयरफोर्स और रिजर्व फोर्स समेत सुरक्षा बल 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर किसी भी इमरजेंसी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं। किसी भी स्थिति पर प्रतिक्रिया देने के लिए पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश प्रदेश तक जवान तैनात हैं। इसके अलावा, अब दो चीन-विशिष्ट माउंटेन स्ट्राइक कोर (1 कोर और 17 कोर) की भी तैनाती की गई है। उन्होंने आगे कहा कि दूसरी ओर पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक में सेना को पीछे हटाने और उसके बाद तनाव कम करने को लेकर चीन के साथ बातचीत के माध्यम से कूटनीतिक-सैन्य दबाव जारी है। लेकिन अतीत में चीन के दोहरे व्यवहार को देखते हुए हमें हर परिस्थिति के लिए तैयार रहने की जरूरत है।
भारत और चीन(China) के बीच पहले हुई बैठकों में कई मुद्दों पर सहमति बनी हैं। हालांकि कुछ मुद्दे अभी भी तनाव की वजह बने हुए हैं। आज होने वाली बैठक में शेष टकराव वाले स्थानों को लेकर दोनों देशों के बीच चर्चा होने की उम्मीद है। हाल ही में सूत्रों ने बताया था कि 14 अगस्त को होने वाली वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करने की मांग करेगा।
सेना ने एलएसी पर बड़ी संख्या में तोपखाने हथियार तैनात किए हैं, जिनमें पुराने 155 मिमी बोफोर्स और नए एम-777 अल्ट्रालाइट हॉवित्जर और ‘विंटराइज्ड’ के-9 वज्र सेल्फ-प्रोपेल्ड ट्रैक गन से लेकर पिनाका और स्मर्च मल्टी-लॉन्च रॉकेट सिस्टम तक शामिल हैं। ये तोप लंबी दूरी में मारक क्षमता के लिए डिजाइन है। एक अन्य सूत्र ने कहा कि इसी तरह पूर्वी लद्दाख में सुखोई-30एमकेआई, राफेल और मिग-29 लड़ाकू विमानों द्वारा लड़ाकू हवाई गश्त के अलावा, एयरफोर्स ने कई राडार और सतह से हवा में मार करने वाले निर्देशित हथियारों के साथ अपने वायु रक्षा नेटवर्क को मजबूत किया है, जिसकी मारक क्षमता लगभग 100 किलोमीटर तक है।
लड़ाकू विमानों द्वारा उड़ाए गए आईएसआर (खुफिया, निगरानी और टोही) मिशनों के अलावा, भारतीय वायुसेना एलएसी के पार दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए बड़ी संख्या में ड्रोन भी संचालित कर रही है। वायुसेना ने नॉर्दर्न सेक्टर में सीमा से लगते एयरबेस पर हमलावर ड्रोन हेरॉन मार्क-2 (Heron Mark-2) तैनात किए हैं। ये इस्राइली ड्रोन लंबी दूरी की मिसाइलों से दुश्मन पर हमला करने में सक्षम हैं। खास बात यह कि ये ड्रोन एक ही उड़ान में चीन-पाकिस्तान दोनों सीमाओं की निगरानी कर सकते हैं। ये ड्रोन एक ही उड़ान में कई मिशन को अंजाम दे सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक इस वक्त भी पूर्वी लद्दाख में 68 हजार से ज्यादा सैनिक, 90 टैंक और आर्टिलरी गन, 330 से ज्यादा BMP मौजूद हैं। सोमवार यानी आज भारत और चीन(China) की सेना के बीच कोर कमांडर स्तर की 19वें दौर की बातचीत होनी है। इसमें डेपसांग और डेमचॉक में सैनिकों को पीछे करने के लिए सहमति बनाने की कोशिश होगी।
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