राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को सार्वजनिक शिक्षा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि 1968 की शिक्षा नीति से लेकर नई शिक्षा नीति तक, एक स्वर से केंद्र व राज्य सरकारों को मिलकर सार्वजनिक शिक्षा के क्षेत्र में जीडीपी के 6 प्रतिशत खर्च करने का लक्ष्य पूरा करने पर जोर देना चाहिए।
2020 की इस शिक्षा नीति में इस लक्ष्य तक शीघ्रता से पहुंचने की सिफारिश की गयी है। 2018-19 के आकड़ों के मुताबिक भारत अपनी जीडीपी का तीन फीसदी सार्वजनिक शिक्षा पर खर्च करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर राज्यपालों और कुलपतियों के कांफ्रेंस में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश में रिसर्च पर भी अधिक से अधिक खर्च करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, यह देखा गया है कि रिसर्च और इनोवेशन में निवेश का स्तर अमेरिका में जीडीपी का 2.8 प्रतिशत, दक्षिण कोरिया में 4.2 प्रतिशत और इजराइल में 4.3 प्रतिशत है जबकि भारत में यह केवल 0.7 फीसदी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि नई शिक्षा नीति इक्कीसवीं सदी की आवश्यकताओं व आकांक्षाओं के अनुरूप देशवासियों को, विशेषकर युवाओं को आगे ले जाने में सक्षम होगी। यह केवल एक नीतिगत दस्तावेज नहीं है, बल्कि भारत के शिक्षार्थियों एवं नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है।
उन्होंने कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, परामशरें की अभूतपूर्व और लंबी प्रक्रिया के बाद तैयार की गई है। मुझे बताया गया है कि इस नीति के निर्माण में ढाई लाख ग्राम पंचायत, साढ़े 12 हजार से अधिक स्थानीय निकाय तथा लगभग 675 जिलों से प्राप्त दो लाख से अधिक सुझावों को ध्यान में रखा गया है।
राष्ट्रपति कोविंद ने सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली को जीवंत लोकतांत्रिक समाज का आधार बताते हुए सार्वजनिक शिक्षण संस्थानों को मजबूत बनाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 तक प्राथमिक विद्यालय स्तर पर सभी बच्चों को मूलभूत साक्षरता और संख्या का ज्ञान प्राप्त कराना इस शिक्षा प्रणाली की सर्वोच्च प्राथमिकता तय की गई है। इसके आधार पर ही आगे की शिक्षा का ढांचा खड़ा हो सकेगा। भारत में व्यावसायिक शिक्षा के प्रसार में तेजी लाने की आवश्यकता को देखते हुए यह तय किया गया है कि स्कूल तथा हायर एजुकेशन सिस्टम में वर्ष 2025 तक कम से कम 50 फीसदी विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा मिले।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों को लागू करने की दिशा में सभी राज्यपालों और शिक्षा मंत्रियों की भूमिका की चर्चा करते हुए उनसे इस दिशा में सक्रियता दिखाने की अपील की। उन्होंने कहा, मुझे विश्वास है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को कार्यरूप देने में योगदान करते हुए आप सब भारत को 'नॉलेज-हब' बनाने में अपनी प्रभावी भूमिका निभाएंगे।.
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