Prophet Mohammad Row: नफरत-हिंसा-दंगों के खिलाफ उठ खड़ी हुई ‘जमात’, नदवी और ओवैसी के खिलाफ फतवा

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देश में कतिपय कारणों से फैल रहे मुसलमानों में फैल रहे कट्टरपन खिलाफ जमात उलमा-ए-हिंद नाम का संगठन उठ खड़ा हुआ है। इस संगठन के अध्यक्ष मौलाना सुहेब कासमी है। सुहेब कासमी भारत के उन मुस्लिम स्कॉलर्स में प्रमुख हैं जो संप्रदाय के नाम पर हिंसा के सख्त खिलाफ हैं। बीजेपी की दण्डित पदाधिकारी नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल के कथित टिप्पणियों के बाद फैली हिंसा को मौलाना सुहेब कासमी ने गैर जायज बताया है। मौलाना सुहेब कासमी ने कहा कि नूपुर कासमी और नवीन जिंदल की कथित विवादास्पद टिप्पणियों के बहाने देश में हिंसा फैलाने वाले नेता असदउद्दीन ओवैसी और देवबंद के मौलाना मोहम्मद मदनी के खिलाफ फतवा जारी करने का फैसला किया है।</p>
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यह पहली बार है कि किसी मुसलिम संगठन ने सांप्रदायिक हिंसा भड़काने वाले लोगों के खिलाफ फतवा जारी करने का ऐलान किया है। अभी तक यही समझा जाता था कि किसी भी सांप्रदायिक हिंसा भड़काने वाले मुस्लिम नेता और मौलाना के खिलाफ फतवा जारी नहीं हो सकता। बहरहाल मौलाना सुहेब कासिमी ने असदउद्दीन ओवैसी और मौलामा मोहम्मद मदनी के खिलाफ फतवा जारी करने का ऐलान कर यह भी साबित कर दिया है कि भारत में प्रगतिशील मुसलमान सक्रिए हैं। संप्रदाय के नाम पर हिंसा मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग समर्थन नहीं कर रहा है।  </p>
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<strong>इसे भी देखेंः<a href="https://hindi.indianarrative.com/india-news/innocent-muslims-of-the-country-are-coming-under-the-guise-of-fundamentalists-making-nupur-sharma-a-pawn-and-shining-their-politics-38889.html"> इंडिया में विदेशी पैसों से हो रहा मुसलमानों का ब्रेन वॉश, फैलाया जा रहा इस्लाम में इन्टॉलरेंस और रेडिकैलाइजेशन</a></strong></p>
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इस सिलसिले में मौलाना सुहेब कासमी दिल्ली स्थित कॉंस्टिट्यूशन क्लव के स्पीकर्स हॉल में एक मीडिया से रू-ब-रू हुए। मौलाना ने कहा नबी का रुतवा हर मुसलमान के लिए उसकी जान से भी ज्यादा है। मुसलमान नबी की शान में गुस्ताखी को बर्दाश्त नहीं करता लेकिन हमारे नबी ने यह भी कहा है कि गलती करने के बाद अगर किसी ने माफी मांग ली है तो उसे माफ कर देना चाहिए। इसलिए नूपुर शर्मा को भी उनकी कथित टिप्पणियों पर माफी मांग लिए जाने के बाद माफ कर देना चाहिए। इस मुद्दे पर की जा रही हिंसा इस्लाम के खिलाफ है।</p>
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मौलाना सुहेब कासमी ने कहा कि जमात उलमा-ए-हिंद  नूपुर शर्मा और उनकी अपमानजनक टिप्पणियों के खिलाफ जुमे की नमाज के बाद देशभर में शुरू हुए विरोध प्रदर्शन से बिल्कुल सहमत नहीं हैं।" जमात उलमा-ए-हिंद ने बीजेपी के शर्मा को निलंबित करने के फैसले का स्वागत किया। कासिमी ने आगे कहा, हम कानून के फैसले का स्वागत कर रहे हैं क्योंकि भारत देश का कानून है और हम कानून को अपने हाथ में नहीं लेने जा रहे हैं। कानून सड़क पर आने और नियम तोड़ने की इजाजत नहीं देता है।</p>
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मौलाना सुहेब कासमी ने 10 जून 2022 से फैली हिंसा के लिए की गई से फंडिग की जांच कराने की मांग की है। आजाद हिंदुस्तान में पहली बार किसी मुस्लिम स्कॉलर और संगठन ने ऐसी मांग की है। इसका मतलब यह लगाया जा रहा है कि नूपुर शर्मा के कथित टिप्पणी को लेकर हो रही हिंसा को बड़े पैमाने पर फंडिग की गई है। यह फण्ड देश से ही आया या विदेश यह भी चर्चा का विषय है। क्यों कि ब्रिटिश डगलस की एक पॉलिसी रिसर्च रिपोर्ट भी मीडिया पर वायरल हो रही है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कट्टरपंथी इस्लाम के प्रसार के भारी मात्रा में पैसा कतर से आया है। यह पैसा शैल कंपनियों के खातों में सबील लगवाने और मस्जिदों की मरम्मत के नाम पर आया है। इसी सिलसिले में ईद चैरिटी नाम का एक दस्तावेज देश की एजेंसयों को मिला है। इस दस्तावेज में हिंसा फैलाने सबूत मिलते हैं।</p>
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पैगंबर मोहम्मद पर नूपुर शर्मा की कथित टिप्पणी के बाद 10 जून को जुमे की नमाज के बाद हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान 12 राज्यों में हिंसा भड़क गई थी। देश के प्रमुख इस्लामी संगठन जमाअत उलेमा-ए-हिंद ने इस हिंसा के लिए AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी और जमाअत उलमा-ए-हिंद के दूसरे धड़े के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी को जिम्मेदार ठहराया है।</p>
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जमाअत के अध्यक्ष सुहैब कासमी ने कहा कि हम असदुद्दीन ओवैसी और मौलाना मदनी के खिलाफ फतवा जारी करेंगे। सुहैब कासमी का कहना है कि ओवैसी और मदनी जैसे लोगों ने युवाओं को भड़काया। सुहेब कासमी का कहना है कि ओवैसी और मौलाना मदनी की बयानबाजी से युवाओं को भड़काना एक ही अंदाज में प्रदर्शन का एजेंडा लगता है। उन्होंने कहा, "देशभर में हुई हिंसा में शामिल आरोपियों पर एक्शन जारी है, लेकिन प्रयागराज से लेकर रांची तक हुई हिंसा का एक मॉड्यूल सामने आया है। इस हिंसा में देश को तोड़ने की साजिश करने वालों का हाथ लगता है। AIMIM सांसद ओवैसी मुस्लिमों के नाम पर मलाई खा रहे हैं। देश की मौजूदा सरकार में ओवैसी की कमाई नहीं हो रही है।</p>
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ध्यान रहे, भारत में इस्लाम और मुसलमानों का ठेकेदार बनने वाले जमाअत-ए-उलेमा-ए-हिंद में भी दो गुट हैं। कुछ अतिवादी उलेमाओं के कारण इस संगठन का 2008 में विभाजन हो गया था। ऐसा कहा जाता है कि मौलाना मोहम्मद मदनी धन-बल और बाहुबल के कारण हावी हैं। ये अरशद गुट का नेतृतव कर रहे हैं।</p>

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

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