Oxygen Crisis: दिल्ली में ऑक्सीजन कमी है तो Oxygen Audit क्यों नहीं कराती केजरीवाल सरकार?

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कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच देशभर के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी पड़ गई। दिल्ली में भी ऑक्सीजन की भारी कमी है। ऐसे में केजरीवाल सरकार ने ऑक्सीजन के उपयोग की ऑडिट कराने से आपत्ति जताई है। जहां एक तरफ दिल्ली सरकार ऑक्सीजन ऑडिट करना से कतरा रही है तो वहीं पुणे के अस्पतालों में ऑडिट होने की वजह से प्रतिदिन लगभग 30 टन ऑक्सीजन की बजत हो रही है। पुणे के कोविड डेडिकेटेड हॉस्पिटल्स (CDH) को इससे खासा फायदा मिल रहा है।</p>
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पुणे के अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी बचत कर बाकी मरीजों की जान बचाई जा रही है। वहीं, दिल्ली में प्रतिदिन कोविड के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं और हर दिन मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में जब इन सब फायदों के बावजूद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में केंद्र सरकार के ऑक्सीजन के उपयोग की ऑडिट करने पर आपत्ति जताई। सुप्रीम कोर्ट में SG तुषार मेहता ने जोर देकर कहा कि दिल्ली में ऑक्सीजन के उपयोग की ऑडिट करने की जरूरत है। ऑडिट से न सिर्फ सही प्रबंधन होता है, बल्कि काम में भी तेज़ी आती है। मुंबई में भी इससे फायदा हो रहा है। आरोप है कि दिल्ली में ऑक्सीजन के स्टॉक को सही तरीके से बांटा नहीं जा रहा है।</p>
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पुणे और पिम्परी चिंचवाड़ के अस्पतालों में ऑक्सीजन ऑडिट होने से मरीजों को भी इसका पूरा लाभ मिल रहा है। दोनों जगहों की नगरपालिकाओं ने कहा है कि मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन का उचित उपयोग, आपात स्थिति में इसके उपयोग और मरीज के भोजन करते समय या बेड पर न होने के समय 'हाई प्लो नजल ऑक्सीजन' को रोकने से बड़ी मात्रा में इसकी बचत की जा रही है, वो भी बिना मरीजों को कोई परेशानी हुए।</p>
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सस्मून जनरल हॉस्पिटल, पुणे व पिम्परी के जम्बो कोविड यूनिट्स और यशवंत चव्हाण मेडिकल हॉस्पिटल रोज 6 टन ऑक्सीजन की बचत करते हैं। वहां के एक अधिकारी का कहना है कि 15 दिन पहले तक सब कुछ इतना ठीक नहीं था लेकिन अब हालात में काफी सुधार आई है।</p>
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वहीं, कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग पुणे (CoEP) जम्बो यूनिट के डीन श्रेयांश कपाले ने कहा कि ऑडिट की मदद से ऑक्सीजन की प्रतिदिन होने वाली खपत को हम 22 टन से 16 टन तक लाने में कामयाब रहे हैं। इसके साथ ही मरीजों की परिस्थिति को देखकर उसके हिसाब से अलग अलग वार्ड बनाया गया है। दरअसल, जिन मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत नहीं हो उनके लिए अलग वार्ड, जिन्हें कम ऑक्सीजन की ज़रूरत हो और जिन्हें ज्यादा की उन्हें अलग। साथ ही समुचित प्रेशर के साथ ऑक्सीजन को उन वॉर्ड्स में डाइवर्ट किया गया।</p>
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आईएन ब्यूरो

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