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Nupur Sharma का सपोर्ट करने पर फिर मिली धमकी, ‘जिहादी जहनियत’ पर काबू लगाने में राजस्थान पुलिस नाकाम

राजस्थान में नहीं रुका धमकियों का सिलसिला

उदयपुर में टेलर कन्हैया लाल की हत्या और फिर महाराष्ट्र के अमरावती में उमेश कोल्हे की हत्या… नूपुर के सपोर्ट में सोशल मीडिया पर पोस्ट और फिर स्टेट्स लगाने पर लोगों को जान से मारने की लगातार धमकियां का सिलसिला अभी शांत भी नहीं हुआ हैं। इसी बीच राजस्थान में एक बार फिर से नूपुर शर्मा के सपोर्ट में अपने व्हाट्सएप पर प्रोफाइल फोटो लगाने पर धमकाने और कन्हैयालाल जैसा हस्र करने की धमकी देने का मामला सामने आया है। जोधपुर के पाली जिले के एक शख्स को फिर से फोन पर धमकी मिली है। क्योंकि उसने अपने व्हाट्सएप पर नूपुर शर्मा के सपोर्ट के लिए प्रोफाइल लगाई थी। वहीं धमकी देने वाले ने वॉट्सएप पर लगी नूपुर शर्मा की डीपी हटाने को कहा है, नहीं तो कन्हैयालाल जैसा हस्र किया जाएगा।

पीड़ित ने पुलिस में की शिकायत

धमकी के बाद पीड़ित युवक ने जैतारण थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। जिसके बाद पुलिस ने मामले में गंभीरता दिखाते हुए पीड़ित को सुरक्षा दे दी है। लेकिन सच्चाई यह है कि राजस्थान में जिहादियों की धमकियां लगातार जारी हैं और पुलिस जिहादियों की मानसिकता पर काबू करने में नाकाम है। इसके पीछे यह कारण भी बताया जाता है कि पुलिस और प्रशासन के सामने सिर कलम करने के नारे लगाने वाले बूंदी के मौलाना को उदयपुर काण्ड के बाद गिरफ्तार तो किया गया लेकिन उसको दूसरे दिन ही कोर्ट से जमानत दे दी गयी थी। कहा जा रहा है कि पुलिस की कमजोर कार्यवाही और कोर्ट से जमानत के मिलने से कट्टरपंथियों के हौंसले बढ़ गए हैं।

उदयपुर में हुई थी कन्हैया लाल की हत्या

बीते 28 जून को कन्हैयालाल की दिनदहाड़े उसी की दुकान में घुसकर बड़ी ही निर्ममता से हत्या कर दी थी। क्योंकि कन्हैयालाल के बेटे ने नूपुर के समर्थन में उनके व्हाट्सएप स्टेटस में एक पोस्ट डाला था। जिसके चलते कट्टरपंथी आरोपी रियाज और मोहम्मद गौस ने उनकी हत्या कर दी। इतना ही नहीं आरोपियों ने देश में दहशत फैलाने के लिए हत्या का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने कन्हैयालाल का सर कलम करने की हुई घटना के बाद सातवें आरोपी फरहाद मोहम्मद उर्फ बाब्ला को गिरफ्तार किया है। कन्हैयालाल की हत्या कुछ दिनों पहले नूपुर शर्मा का समर्थन करने के आरोप में की गई थी। इस बात को भी एक सूबत के तौर पर देखा जा रहा है कि उदयपुर में हत्या की साजिश नूपुर शर्मा के खिलाफ पीएफआई द्वारा किये गये एक रैली के बाद रची गई थी। यह रैली 20 जून को निकाली गई थी। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, उदयुपर और अमरावती घटना के आरोपियों के विदेशी कनेक्शन थे या नहीं? इसका पता इनसे जब्त की गई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज की पड़ताल के बाद चल जाएगा। जल्द ही इन डिवाइसों की रिपोर्ट सामने आएगी। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे अमरावती हत्याकांड में भी पीएफआई-एसडीपीआई कनेक्शन सामने आ रहा है।