Rangbhari Ekadashi 2021: रंगों से सराबोर बनारस, काशी में हुआ शिव-पार्वती का गौना, मथुरा-बरसाने में अबीर-गुलाल की बहार

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काशी में सदियों से भगवान शंकर और माता पार्वती के गौना का परंपरा चली आ रही है। यहां हर साल रंगभरी एकादशी के मौके पर भगवान शिव अपने ससुराल आते हैं और फिर पार्वतीजी का गौना होता है और फिर पालकी में सवार होकर माता पार्वती और शिवजी का डोला विश्वनाश मंदिर पहुंचता है।</div>
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हर साल रंगभरी एकादशी फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। इस एकादशी को अमालकी एकादशी भी कहते हैं। आज के दिन भगवान विष्णु के </div>
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साथ-साथ आंवला के पेड़ की भी पूजा होती है और आज के दिन काशी को सजाया जाता है।</div>
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मान्यता है कि आज ही के दिन भगवान शिव माता पार्वती को पहली बार काशी लेकर आए थे। इसलिए ये एकादशी बाबा विश्वनाथ के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है। आज से काशी में होली पर्व शुरू हो जाता है जो अगले छह दिनों तक चलता है।</div>
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<strong>माता पार्वती आती हैं ससुराल</strong></div>
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रंगभरी एकादशी के दिन काशी की गलियों से होते हुए भगवान शिव और माता पार्वती की पालकी निकलती है और भक्त इन पर अबीर और गुलाल बरसाते हैं। विवाहित महिलाएं माता पार्वती को गुलाल लगाकर शिवजी जैसे अखंड सौभाग्य का वर मांगती हैं। होली की शुरुआत भी काशी में रंगभरी एकादशी से मानी जाती है। यह परंपरा काशी में 357 वर्षों से चली आ रही हैं।</div>
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<strong>मथुरा  बरसाने में अबीर-गुलाल की बहार</strong></div>
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बनारस की तरह मथुरा बरसाने में भी अबीर गुलाल की बहार है। नंद के छोहरा और बरसाने की गोरियों के बीच परंपरागत तरीके से होली मनाए जाने का त्योहार अपने चरम की ओर बढ़ रहा है। रंग एकादशी के उपलक्ष्य में मथुरा-गोकुल और बरसाने की गलियाों में रंग रसियों की धूम है।</div>
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<strong>पूजा का शुभ मुहूर्त</strong></div>
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रंगभरी एकादशी तिथि की शुरुआत- 24 मार्च को 10 बजकर 23 मिनट पर</div>
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रंगभरी एकादशी समाप्त- 25 मार्च को 09 बजकर 47 मिनट तक है</div>
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व्रत के पारण का समय- 26 मार्च को सुबह 06 बजकर 18 मिनट से 08 बजकर 21 मिनट तक रहेगा।</div>
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<strong>पूजा विधि</strong></div>
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सुबह उठकर स्नान कर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं, पूजा में अबीर, गुलाल, चंदन और बेलपत्र चढ़ाते हैं। सबसे पहले भगवान शिव को चंदन लगाएं और उसके बाद बेलपत्र और जल अर्पित करें। इसके बाद गुलाल और अबीर अर्पित करें।</div>
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बृज क्षेत्र के लोगा राधारानी और कृष्ण जू के चरणों में रंग लगाकर रंगाएकादशी की शुरूआत करते हैं।</div>

आईएन ब्यूरो

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