Taliban को लेकर भारत का बड़ा एक्शन, देखें एक्टिव हो रहे आतंकियों को लेकर UNSC में क्या कहा

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अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद ये देश आतंकियों का ठिकाना बन गया है। आतंकी खुलेआम अफगान की सड़कों पर घुमते हैं। इसके साथ ही यहां आतंकवादी गुट पनपने से दुनिया के लिए चिंता का विषय है। इन सब को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद विरोधी समिति के अध्यक्ष राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने तालिबान, अल कायदा और पाकिस्तान स्थिति आतंकवादी सूमहों जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के बीच संबंधों पर चिंता व्यक्त ही है। उन्होंने कहा है कि, सुरक्षा परिषद की ओर से प्रतिबंधित तालिबान, अल-कायदा और आतंकवादी संस्थाओं के बीच संबंध जैसे लगश्कर-ए-तैयबा औऱ जैश-ए-मोहम्मद चिंता का एक और स्रोत हैं और इसीलिए गंभीर चिंता बनी हुई है कि अफगानिस्तान अलकायदा और क्षेत्र के कई आतंकवादी समूहों के लिए एख सुरक्षित आश्रय स्थल बन सकता है।</p>
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इसके आगे उन्होंने कहा कि, अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने से क्षेत्र के बाहर, विशेष रूप से अफ्रीका के कुछ हिस्सों में एक जटिल सुरक्षा खतरा पैदा हो गया है, जहां आतंकवादी समूह तालिबान के उदाहरण का इस्तेमाल करने का प्रयास कर सकते हैं। हम यह भी जानते हैं कि सूचना का दुरुपयोग और कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी आतंकवादी उद्देश्यों के लिए बढ़ रहा हैं, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, डीप फेक और ब्लॉकचेन जैसी नई टेक्नोलॉडी शामिल हैं।</p>
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उन्होंने कहा कि, आतंकवादियों को पनाहगाह मुहैया कराने वाले स्थानों के संदर्भ में पूरी सावधानी बरती जाए। तिरुमूर्ति ने कहा था कि इन प्रतिबंध व्यवस्थाओं की लगातार समीक्षा किए जाने की आवश्यकता है, ताकि वे बदलते हालात के अनुसार ढल सकें और कारगर साबित हो सकें। इन प्रतिबंधों को लागू करने में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए प्रतिबंध समितियों के अध्यक्षों को अधिक अग्रसक्रिय भूमिका निभाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि, सभी विकल्पों का इस्तेमाल कर लेने के बाद अंत में ही प्रतिबंध लागू किए जाने चाहिए। इन प्रतिबंधों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के प्रावधानों के अनुसार लागू किया जाना चाहिए औऱ उनके अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।</p>
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आईएन ब्यूरो

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