Sankashti Chaturthi 2021: आज गणेश जी के इन 12 नामों से करो गणेश जी की पूजा, दुश्मन होंगे धराशाई

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चैत्र कृष्ण पक्ष की उदया तिथि तृतीया और दिन बुधवार है। तृतीया तिथि दोपहर 2 बजकर 7 मिनट तक रहेगी, उसके बाद चतुर्थी तिथि शुरू हो जाएगी, जो शुक्रवार दोपहर पहले 11 बजे तक रहेगी। आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार बुधवार को तृतीया तिथि दोपहर 2 बजकर 7 मिनट तक ही रहेगी और उसके बाद चतुर्थी तिथि लग जायेगी और संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत का पारण चतुर्थी तिथि में चंद्रोदय के बाद ही किया जाता है और चतुर्थी तिथि में चंद्रमा इसी ही दिखेगा। लिहाजा 31 मार्च को ही संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी का व्रत किया जायेगा। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन गणेश जी के 12 नाम लेने से दुश्मन धराशाई हो जाते हैं और घर में सुख-संपत्ति आती है। नौकरी में तरक्की और सारी मनोकामना पूरी होती हैं। गणेश जी के 12 नाम इस प्रकार हैं- सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन।</p>
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<strong>संकष्टी चतुर्थी का महत्व</strong></p>
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ऐसी मान्यता है कि भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी (Bhalchandra Sankashti Chaturthi) के दिन भगवान गणेश जी की पूजा करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और विघ्नहर्ता गणेश व्यक्ति के जीवन के सभी दुख और संकटों को दूर कर देते हैं। इस दौरान गणेश जी की आरती, उनके मंत्र और चालीसा का पाठ भी पूरी श्रद्धा के साथ करना चाहिए। चूंकि संकष्टी चतुर्थी का व्रत बुधवार को पड़ रहा है और बुधवार का दिन गणेश जी का ही दिन माना जाता है, इसलिए इस दिन गणेश की पूजा करने से दोहरा फल और आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखने से जातक के सभी दुख दूर हो जाते हैं।</p>
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<strong>भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त-</strong></p>
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भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी तिथि प्रारम्भ- 31 मार्च दिन बुधवार को दोपहर 02 बजकर 06 मिनट से।</p>
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भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी तिथि समाप्त- 1 अप्रैल दिन गुरुवार को सुबह 11 बजे तक।</p>
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<strong>सूर्य और चंद्रमा का समय-</strong></p>
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सूर्योदय – 6:16AM</p>
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सूर्यास्त – 6:34PM</p>
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चन्द्रोदय – Mar 31 9:40PM</p>
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चन्द्रास्त – Apr 01 8:44AM</p>
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<strong>संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि-</strong></p>
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1.  सबसे पहले स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।</p>
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2. इस दिन लाल वस्त्र पहनकर पूजा करना शुभ माना जाता है।</p>
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3. पूजा करते समय मुख उत्तर या पूर्व दिशा में रखना चाहिए।</p>
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4. साफ आसन या चौकी पर भगवान श्रीगणेश को विराजित करें।</p>
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5. अब भगवान श्रीगणेश की धूप-दीप से पूजा-अर्चना करें।</p>
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6. पूजा के दौरान ॐ गणेशाय नमः या ॐ गं गणपते नमः मंत्रों का जाप करना चाहिए।</p>
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7. पूजा के बाद श्रीगणेश को लड्डू या तिल से बने मिष्ठान का भोग लगाएं।</p>
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8. शाम को व्रत कथा पढ़कर और चांद को अर्घ्य देकर व्रत खोलें।</p>
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9.  व्रत पूरा करने के बाद दान करें।</p>

आईएन ब्यूरो

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