Chamoli Disaster: बड़ी खबर, तपोवन सुरंग में अभी तक जिंदा 35 मजदूर!

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उत्तराखंड में आई त्रासदी ने कई लोगों की जान ले ली। यह आपदा इतनी भीषण थी कि अभी भी राहत और बचाव कार्य चल रहे हैं। आईटीबीपी के जवान दिन रात वहां फंसे लोगों की मदद कर रहे हैं। आईटीबीपी का मानना है कि अभी भी तपोवन की सुरंग में 30 से 35 लोग जिंदा है। ऐसे में टीम ने इन लापता मजदूरों की तलाश के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रखने का फैसला किया है। आईटीबीपी की टीम ने उम्मीद जताई है कि उन्हें बचा लिया जाएगा। आईटीबीपी की टीम को विश्वास है कि तपोवन सुरंग के भीतर मजदूर सुराख से आ रही हवा के सहारे अभी भी सुरक्षित होंगे।</p>
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भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के प्रमुख एसएस देसवाल ने कहा, 'हमें पूरी आशा है कि हम उन्हें बचा लेंगे। श्रमिकों के तपोवन सुरंग के द्वार से करीब 180 मीटर की दूरी पर होने की संभावना है।' देसवाल ने कहा कि तार्किंक निष्कर्ष तक पहुंचने और मजदूरों का पता लगाने में चाहे जितना समय लगे, हम अपना प्रयास आखिरी समय तक जारी रखेंगे। हमारे कर्मी फंसे हुए श्रमिकों का पता लगाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और उस स्थान तक जल्द पहुंचने की संभावना है।</p>
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22-25 फुट ऊंची सुरंग के भीतर 120 मीटर तक गाद को हटा लिया है लेकिन लगातार गाद के आने से उनके प्रयासों में दिक्कतें आ रही है। सुरंग के भीतर कैमरा लगे ड्रोन को भी उड़ाने का प्रयास किया गया लेकिन बचाव टीम को इससे कोई मदद नहीं मिली। सुरंग के भीतर तापमान 25-26 डिग्री सेल्सियस बताया जा रहा है।</p>
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देसवाल ने कहा कि बल के एक उप महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में 450 जवान लगातार अभियान में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि रैनी गांव के पास कुछ पुल टूटने से चीन के साथ लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास आईटीबीपी की करीब पांच सीमा चौकियों का जमीनी मार्ग से संपर्क कट गया है। इन चौकियों के जवानों से संपर्क बना हुआ है और वहां करीब 400 जवानों के लिए राशन और अन्य जरूरी सामानों का भंडार है।</p>
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देसवाल ने कहा, 'हम हिमखंड टूटने वाले स्थान की तस्वीरें और वीडियो वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के साथ साझा कर रहे है जो बेहतर आकलन कर पाएंगे कि किस तरह आपदा की शुरुआत हुई।' आईटीबीपी की निरीक्षण टीम ने एक हेलिकॉप्टर से हिमखंड टूटने वाले स्थान का जायजा लिया। डीजी ने कहा कि सुरंग का मार्ग संकरा होने के कारण एक समय में केवल एक अर्थमूवर से ही मलबा हटाया जा सकता है। गाद बाहर करने के बाद ही बचावकर्मियों के लिए भीतर जाने का रास्ता बनेगा।</p>

आईएन ब्यूरो

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