बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में रोजगार का मुद्दा सबसे अधिक छाया रहा। इसके चलते बिहार में एनडीए की सरकार बनते ही सीएम नीतीश कुमार ने रिक्त पदों का ब्यौरा मांगा है। सातवीं बार बिहार की सत्ता के शिखर पर पहुंचने वाले नीतीश कुमार की बड़ी जिम्मेदारी है कि किस प्रकार जनआकांक्षाओं को भली-भांती पूरा किया जाए।
आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख लोगों को सरकारी नौकरी देने के वादा किया था, आरजेडी भले ही सत्ता तक नहीं पहुंच सकी, लेकिन इस चुनाव में उन्होंने यह साबित कर दिया कि बेरोजगारी बिहार के लिए एक बड़ी समस्या है। उसी दौरान भाजपा ने भी 19 लाख लोगों को रोजगार का देने का वादा किया था। इधर, भाजपा, जेडीयू, हम और वीआइपी वाली एनडीए सत्ता पाने के बाद नीतीश कुमार की अगुवाई में नौकरियों को लेकर कवायद शुरू कर दी है।
सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी सरकारी विभागों के मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव व सभी विभागों के विभागाध्यक्षों को पत्र भेजकर आधिकारिक तौर पर रिक्तियों की जानकारी मांगी गई है। पूछा गया है कि उनके विभाग में उनके अधीन रिक्त पदों की कितनी संख्या है। यह भी बताने को कहा गया है कि इसके अतिरिक्त संविदा के आधार पर कितनी संख्या में नौकरियों का मामला प्रक्रियाधीन है। अधिकारियों को इस कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखने की हिदायत भी दी गई है।
सरकार की तेजी देखकर माना जा रहा है कि जल्द ही बड़ी संख्या में नियुक्तियां की जा सकती हैं। सूत्रों का दावा है कि अगले साल बिहार में बड़ी संख्या में रिक्त सरकारी पदों को भरा जाएगा। इसमें सहायक शिक्षक, बिहार प्रशासपिनक सेवा के अधिकारी, जूनियर इंजीनियर, दारोगा, सिपाही जैसे पद हैं। इसके अलावे स्वास्थय विभाग में भी बड़ी बहाली की संभावना है।
<strong>राज्य के भवन निर्माण और विज्ञान प्रावैधिकी मंत्री अशोक चैधरी कहते हैं कि सरकार की प्रथमिकता लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की है। उन्होंने कहा कि रोजगार देने के लिए युवाशक्ति का स्किल विकसित किया जाएगा। बेहतर प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी, जिससे लोगों को रोजगार मिल सके। इधर, शिक्षा विभाग में भी नियुक्ति की जाने की प्रक्रिया प्रारंभ होगी। नगर विकास विभाग एवं आवास विभाग में जूनियर इंजीनियरों की निुयक्ति की जानी है।</strong>
विधानसभा चुनाव के दौरान तेजस्वी यादव ने सरकारी विभागों में रिक्त पदों का हवाला देते हुए पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख लोगों को सरकारी नौकरी देने का वादा किया था, जिसका उनको समर्थन भी मिला था। इसके बाद भाजपा ने 19 लाख लोगों को रोजगार का देने का वादा किया था। बहरहाल, फिर से सत्ता तक पहुंची राजग के लिए रोजगार देना एक चुनौती है, लेकिन नीतीश सरकार ने इसके लिए कवायद प्रारंभ कर दी है। अब देखना हेागा कि सरकार को इस मामले में कहां तक सफलता मिलती है।.
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