मध्य प्रदेश उप-चुनाव में कांग्रेस की पूरी कमान कमलनाथ के हाथ में

मध्यप्रदेश में दशकों से कांग्रेस और गुटबाजी एक-दूसरे का पर्याय रहे हैं। कांग्रेस का मुकाबला विरोधी दल भाजपा से तो रहा ही है, साथ ही पार्टी के भीतर अपने ही लोगों से जूझना पड़ा है।लेकिन आगामी विधानसभा के उपचुनाव में कांग्रेस सिर्फ एक चेहरे को आगे रखने वाली है, और चुनाव की पूरी कमान उसी के हाथ में रहेगी और वह हैं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ।

जब भी राज्य में चुनाव हुए हैं, गुटबाजी चरम पर रही है। कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपे जाने के बाद से गुटबाजी पर काफी हद तक विराम लगा है। अगर पिछले विधानसभा के चुनाव पर गौर करें तो साफ है कि तब दो गुट नजर आते थे, कमलनाथ और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का। सिंधिया और उनके समर्थक पार्टी छोड़ कर भाजपा में जा चुके हैं। लिहाजा अब सिर्फ कमलनाथ का प्रभाव ही पार्टी में रह गया है।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि हाईकमान ने उपचुनाव की पूरी जवाबदारी और जिम्मेदारी कमल नाथ को सौंप दी है। उम्मीदवारों के चयन से लेकर रणनीति बनाने का काम उन्हीं के सुपुर्द है। यही कारण है कि कमल नाथ अपने स्तर पर सर्वे करा रहे हैं। इतना ही नहीं सभी उम्मीदवार भी उन्हीं की मर्जी से तय किए जाएंगे, पार्टी हाईकमान ने जो प्रभारी भेजे हैं, वह भी कमलनाथ की सहमति से ही राज्य में आए हैं।

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि "पिछला विधानसभा चुनाव भी कमल नाथ के नेतृत्व में लड़ा गया था। पार्टी ने जीत भी दर्ज की थी। अब उप-चुनाव में पार्टी उन्हंी का चेहरा और उनकी सरकार के पंद्रह माह के कामकाज को जनता के बीच लेकर जाने वाली है। कांग्रेस कमल नाथ के नाम और काम पर ही जनता से वोट मांगेगी।"

राजनीतिक के जानकार संतोष गौतम का कहना है कि "विधानसभा के उप-चुनाव रोचक होने वाले हैं। कांग्रेस के पास सिर्फ कमल नाथ ही ऐसा चेहरा है जो जनता में नकारात्मक छवि नहीं बनाता। पार्टी अगर कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को आगे करती है, तो भाजपा को कांग्रेस पर हमला करने का आसान अवसर देगी। ऐसी स्थितियां न बनें इसके लिए जरुरी है कि कमल नाथ को आगे किया जाए, लिहाजा कांग्रेस एक सोची समझी रणनीति के तहत कमल नाथ को आगे कर रही है। कमल नाथ पंद्रह माह राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे हैं, पार्टी में गुटबाजी को पनपने नहीं दिया। पार्टी को लगता है कि कमल नाथ ही ज्यादा लाभदायक हैं।

पार्टी की चुनावी गतिविधियों पर नजर दौड़ाई जाए तो एक बात साफ हो जाती है कि सारे फैसले कमल नाथ ही ले रहे हैं। पार्टी के नेताओं की बैठक में उनके अलावा कोई दूसरा बड़ा नेता नहीं होता, वहीं कार्यकर्ताओं, पर्यवेक्षक के अलावा प्रभारियों से सीधे संवाद कमल नाथ ही कर रहे हैं। कुल मिलाकर कांग्रेस के उप-चुनाव की सारी बागडोर कमलनाथ के ही हाथ में है।.

डॉ. शफी अयूब खान

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