<p id="content"><strong>UP Election 2022: </strong>उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अभी करीब 15 माह का समय है। लेकिन प्रदेश के अलावा दूसरे राज्यों के सियासी दल यहां की राजनीति में अपने भविष्य की संभावनाओं पर सक्रिय हो गए हैं। आम आदमी पार्टी के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए- इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने UP Election 2022 में ताल ठोकने का मन बना लिया है। पार्टी के नेता असदुद्दीन ओवैसी बुधवार को राजधानी लखनऊ में थे। इस दौरान उन्होंने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर से मुलाकात की। दोनों के मिलने के बाद यूपी का सियासी पारा चढ़ गया है। ऐसा अंदेशा लगाया जा रहा है उनके यहां चुनाव लड़ने से मुस्लिमों का बड़ा खेमा समाजवादी पार्टी से छिटक कर ओवैसी के पाले में जा सकता है। इससे सपा के लिए मुश्किलें खड़ी होंगी।</p>
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राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो ओवैसी के यूपी में चुनाव लड़ने से सपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। क्योंकि यहां पर सपा को हर पार्टियों की अपेक्षा मुस्लिम मतदाताओं का करीब 50 से 60 प्रतिशत वोट मिलता रहा है। ऐसे में ओवैसी जातीय समीकरण के साथ मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी कर सकते हैं।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव कहते हैं कि (AIMIM) ओवैसी की पार्टी सपा के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है। क्योंकि वो सपा के वोट बैंक पर डायरेक्ट सेंधमारी कर सकती है। अगर ओवैसी की पार्टी विधानसभा चुनाव में जोर-शोर से उतरी तो धुव्रीकरण होगा जिसका लाभ भाजपा को होगा। उदाहरण बिहार का विधानसभा चुनाव और हैदराबाद नगर-निगम चुनाव है। यही नहीं, यूपी का इतिहास देखा जाए तो जब-जब सपा ने अपने को मुस्लिम वोटों का हितैषी बन चुनाव लड़ा है तब-तब भाजपा को फायदा मिला है। चाहे 2017 का चुनाव हो, चाहे 1991 का चुनाव रहा हो। ऐसे में धुव्रीकरण होता है। उसमें हिन्दुओं के एकजुट होने की संभावना रहती है। जिसका भाजपा प्रचार करती रही है। इससे ओवैसी सपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। इसके लिए सपा को रणनीति बदलनी होगी। भाजपा को फायदा दिख रहा है।
उधर एमआईएमआईएम के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने कहा कि विपक्षी दल सिर्फ हम पर भाजपा का 'बी' टीम होने का सिर्फ आरोप लगाते हैं। बिहार चुनाव में हमसे किसी ने संपर्क नहीं किया। हमें दरकिनार किया गया है। फिर रोना क्यों रो रहे हैं। अगर हम भाजपा की 'बी' टीम होते तो तेलांगाना में भाजपा की हुकुमत होती। इसे हम खारिज करते हैं।
सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने एआईएमआईएम के यूपी विधानसभा में चुनाव लड़ने को लेकर कहा कि लोकतंत्र में सबका अधिकार चुनाव लड़ने का होता है। इससे नफा-नुकसान का कोई मतलब नहीं है। सपा बड़ी, विकल्प और मुख्यधारा की पार्टी इससे किसी भी पार्टी के चुनाव लड़ने का कोई फर्क नहीं पड़ेगा।.
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