उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर राजनीतिक पार्टियां जमकर प्रचार कर रही हैं। यहां पर दो चरणों के लिए वोटिंग हो चुकी है अब 20 फरवकी को तीसरे चरण की वोटिंग की जाएगी। यूपी में इस वक्त राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे पर जमकर बरस रही हैं। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलश यादव मैनपुरी के करहल सीट से मैदान में उतरे हैं लेकिन बीजेपी ने ऐसा दावं चला है कि अब सपा मुश्किल में फंसती हुई दिखाई दे रही है जिसके बाद पिता मुलायम सिंह यादव ने बेटे को पीछे कर खुद मैदान में कूद पड़े हैं।
बीजेपी ने ऐसा दाव चला है कि करहल सीट से मुकाबला टक्कर का हो गया है। दरअसल, मुलायम के बेहद खास रहे औऱ अब मोदी सरकार में मंत्री एसपी सिंह बघेल को बीजेपी ने यहां से उतरा है। जिसके बाद बेटे अखिलेश की जीत सुनिश्चित करने के लिए आज वो खुद मैदान में उतरेंगे। यहां से बीजेपी का चाणक्य यानी गृहमंत्री अमित शाह भी आज यहां प्रचार के लिए आ रहे हैं। मैनपुरी के सांसद और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव पहली बार चुनाव प्रचार में उतरने जा रहे हैं। मुलायम सिंह मैनपुरी के कोसमा में आयोजित जनसभा में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ मंच साझा करेंगे।
2019 लोकसभा चुनाव के दौरान सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव मैनपुरी लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी के रूप में नामांकन पत्र दाखिल करने आए थे। इसके बाद से उनका मैनपुरी में आगमन नहीं हो पाया था। वहीं, अमित शाह की रैली भी होने की वजह से मैनपुरी में सियासी संग्राम बढ़ गया है। इटावा और मैनपुरी सपा का गढ़ माना जाता है। लेकिन 2017 में 300 से अधिक सीटों पर कब्जा करने वाली बीजेपी को उस दौरान भी मैनपुरी की चारों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। 2017 में करहल सीट से सपा के सोबरन यादव को जीत हासिल हुई थी। उन्होंने भाजपा की रमा शाक्य को 38 हजार वोटों से मात दिया था। सपा को 49.81 फीसदी वोट मिले थे।
करहल सीट इस बार खास इसलिए है क्योंकि, अखिलेश यादव के खिलाफ बीजेपी ने कभी यादव परिवार के बाहद करीब और खास रहे एसपी सिंह बघेल को चुनाव मैदान में उतार दिया है। वह राजनीति के बड़े मंझे हुए खिलाड़ियों में गिने जाते हैं। बघेल मुलायम के सुरक्षा अधिकारी भी रहे हैं और अब वो अखिलेश यादव को ही पटखनी देने के लिए मैदन में उतर रहे हैं। करहल में कुल 3 लाख 71 हजार वोटर हैं। जिसमें से 1 लाख 44 हजार यादव वोटर हैं और 14 हजार मुस्लिम हैं। जो कि सपा के कोर वोटर माने जाते हैं। गैर मुस्लिम और यादव वोटर्स की संख्या भी डेढ़ लाख से अधिक है, जिस पर बीजेपी का फोकस है। ऐसे में अब यहां से मुकाबला बेहद ही दिलचस्प होने वाला है।