UP Election 2022 ‘पाकिस्तान’ पर बयान देकर इलेक्शन की पिच पर ‘हिट विकिट’ हो गए अखिलेश यादव!

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पिता मुलायम सिंह यादव का तख्ता पलट कर समाजवादी पार्टी पर काबिज हुए अखिलेश यादव का अपना ही दांव उल्टा असर दिखाई देने लगा है। जब से अखिलेश यादव ने कहा है कि भारत का अकली दुश्मन पाकिस्तान नहीं है तब से उन पर पार्टी के लोग ही लानतें भेज रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से विधान सभा के चुनाव का आगाज होना है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट-ओबीसी एसटीएससी और मुस्लिम बहुल्य जिले हैं।</p>
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अखिलेश यादव का पाकिस्तान की हिमायत करना न तो जाटों का रास आ रहा है और न ही ओबीसी एससीएसटी वोटर्स को। रही बात मुसलमानों की तो मुसलमान सिर्फ उसी प्रत्याशी को वोट करते हैं जो बीजेपी के खिलाफ मजबूत दिखाई देता हो। ऐसे में किसान आंदोलन ने सपा-रालोद गठबंधन को जो बढ़त की आस दिखाई दी थी वो अब धूमल होती जा रही है। वोटिंग में भी एक ही पखबाड़ा बचा है। इस समय वोटर्स का मूड बदल रहा है। हर रोज आ रहे सर्वे बता रहे हैं कि योगी पहले से ज्यादा सीटें जीत कर एक बार फिर सरकार बना सकते हैं।</p>
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<img alt="" src="https://hindi.indianarrative.com/upload/news/UP_Election_2022-1.webp" style="width: 730px; height: 481px;" /></p>
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राजनीतिक पंडितों का कहना है है कि अखिलेश यादव का पहले जिन्ना और फिर पाकिस्तान पर दिया गया बयान बीजेपी की सीटें बढ़ाने में मदद कर रहा है। तत्कालिक तौर पर किए गए कुछ सर्वो में 57 फीसीदी मतदाताओं की राय थी कि अखिलेश हिट विकेट हो चुके हैं तो 32 फीसदी लोगों ने कहा कि समाजवादी पार्टी को कोई खा नुकसान नहीं होगा। जबकि 11 फीसदी मतदाताओं ने चुप्पी साध ली है। ऐसे मतदाता किनारे पर बैठने वाले होते हैं जिसकी हवा चलती है उसी के साथ चुपचाप बह जाते हैं।</p>
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चुनावी ऐलान से पहले माना जा रहा था कि ओवैसी सपा के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध मारी कर सकते हैं मगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उनकी हवा कुछ खास नहीं है। अधिकांश मुसलमानों को अखिलेश में ही अपना नेता दिखाई दे रहा है। कुछ मुसलमान वोटर्स ऐसे भी हैं जो अब भी कांग्रेस में अपना भविष्य देख रहे हैं। आखिरी समय में अगर मुसलमान वोटर्स को लगा कि अखिलेश बीजेपी को टक्कर नहीं दे पा रहे हैं तो वो ओवैसी  की ओर मुड़ जाएँगे। इन दोनों ही परिस्थितियों में बीजेपी की बढ़त में और बढ़ोतरी होने की संभावना है।</p>
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उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों पर खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट्स संकेत दे रही हैं कि ये चुनाव दो ध्रुवों में बंट चुका है। एक ध्रुव हिंदू और दूसरा ध्रुव मुसलमान है। चुनावी राजनीति के दृष्टिकोण से यह ध्रुवीकरण किसी भी एक पार्टी के लिए अच्छा हो सकता है मगर राज्य शासन की दृष्टि से खतरनाक है।  </p>

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

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