Uttar Pradesh में माहौल बनाकर भी डगमगा कई सपा, बीजेपी की चाल में उलझ कर रही गई सारी पार्टियां

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विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर जब प्रचार शुरू हुआ था उस दौरान एकतरफा मुकाबला था। सियासी गलियारों में सिर्फ योगी आदित्यनाथ की चर्चा थी। लेकिन देखते ही देखते हवा की रुख बदलने लगी और चुनाव नजदीक आते ही सारे विपक्षी दल मिलकर बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने लगे। इस बीच सपा योगी के नीत मंत्रियों समते 11 विधायकों को अपने पार्टी में शामिल करने में कामयाब रही। सपा को लगा कि उसने तो बीजेपी को गहरा चोट दे दिया और इस बार तो अखिलेश यादव की वापसी पक्की है। यहां तक लोगों के बीच कहा जाने लगा कि राज्य में भाजपा तो इस बार हार रही है लेकिन, इन विरोधी दलों की आंधी इतनी ताकतवर नहीं थी कि वो बीजेपी को हिला सके।</p>
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यहां तक कि यह भी कहा जाने लगा कि यूपी में अखिलेश यादव सत्ता में नहीं भी आ सके तो इस बार का मुकाबला टक्कर का होने वाला है और बीजेपी के बहुत ही करीब सपा भी होगी। लेकिन, सपा 121 पर ही सीमट गई और बीजेपी का ग्राफ पूर्ण बहुमत से ऊपर 275 पर पहुंच गया है। यहां तक कि एग्जिट पोल तक का अनुमान भी यह बता रहा था कि राज्य में कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी।</p>
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<strong>दलित वोटर्स</strong></p>
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उत्तर प्रदेश में दलित वोटर्स काफी मायने रखते हैं। ये वोटर्स जिस भी पार्टी की ओर गए समझ लें कि उसे बड़ा फायदा होगा और हुआ भी यही। सपा की सरकार में सबसे ज्यादा दलितों पर अत्याचार के मामले आए लेकिन, बीजेपी सरकार ने दलितों को अपनी पार्टी में जगह दी और उन्हें एक समान समझा। यही वजह थी कि सपा लाख कोशिशों के बाद इन्हें भरोसा दिलाने में नाकामयाब रही। इसके साथ ही लगभग 70 फीसदी दलित वोटर्स बहुजन समाज पार्टी को छोड़कर भाजपा पर भरोसा जाता दिया।</p>
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<strong>कानून व्यवस्था</strong></p>
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राज्य में जब कानून व्यवस्था की बात हो तो इसके परिणाण तब देखने को मिलें जब कुख्यात माफिया विकास दूबे की गाड़ी पलट जाती है और वो एनकाउंटर में मारा जाता है। कानून तब दिखती है जब पुर्वांचल के बाहुबली जेल से बाहर निकलने में डरत हैं कि कहीं विकास दूबे की तरह उनका भी हाल न हो जाए। योगी सरकार ने तो मुख्तार अंसारी के अवैध हाटलों, कब्जों, घरों पर बुलडोजर तक चला दिया। अतिक अहमद जैसे माफियाओं के डर को राज्य से खत्म किया। सपा कई चीजों के लेकर बीजेपी को घेरने की कोशिश की लेकिन चुनावी दैर में सपा के नाताओं के जो विवादित वीडियो सामने आए उससे लोगों को वापस से भरोसा हो गया कि सपा के आते ही माफियाओं वो वर्चस्व फिर से बढ़ने लगेगा। हुआ यह कि अखिलेश ने जितना माहौल बनाया था, वो सब पीछे हो गए। महिलाओं ने अखिलेश के किसी भी वादे की बजाय योगी के कानून व्यवस्था पर भरोसा जताया। योगी आदित्यनाथ लोगों को यह समझाने में कामयाब हुए कि कानून व्यवस्था बेहतर रही तो प्रदेश का विकास तेजी से होगा।</p>
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<strong>महिलाओं का समर्थन</strong></p>
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इस बार महिलाओं को अपने पाले में लाने के लिए कांग्रेस ने प्रियंका गांधी तक को मैदान में उतार दिया था। महिलाओं को लेकर कांग्रेस ने इतने वादे किए लेकिन अंत में उसे निराशा ही हाथ लगी। क्योंकि, बीजेपी सरकार में महिलाओं को जो सम्मान मिला है वो शायद ही कभी मिला हो। सरकार ने महिलाओं के हित के लिए न जाने कितनी योजनाएं लागू की हुई हैं जिसका वो लाभ उठा रही हैं और इसी का लाभ बीजेपी को चुनाव में मिला। महिलाएं पिछले कुछ चुनावों से बीजेपी की बड़ी ताकत बनकर उभरी हैं। पीएम आवास योजना से लेकर उज्जवला गैस योजना और बिजली योजना तक सब ने महिलाओं को आगे बढ़ाने का काम किया। महिलाओं ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी योगी आदित्यनाथ का साथ दिया। यहां तक कि मुस्लिम महिलाओं की भी पसंद बीजेपी बन चुकी है।</p>
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<strong>कोरोना काल</strong></p>
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कोरोना महामारी के दौरान पूरी दुनिया में हहाकार मची हुई थी। सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह से राज्य को संभाला उसकी चर्चा विश्वभर में हुई। इस दौरान हर गरीब को भाजपा सरकार ने मुफ्त राशन पहुंचाया जिसकी तारीफ गांव-गांव में लोगों के बीच हुई। इसके साथ ही फ्री दवाओं से लेकर इलाज तक के चलते गरीब वर्ग के लोगों ने बीजेपी सरकार पर भरोसा जताया।</p>
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<strong>किसान सम्मान निधि और आवास योजनाएं</strong></p>
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के हित के लिए न जाने कितनी योजनाएं लागू कि जिसमें से एक है किसान सम्मान निधि योजना। जिसके तहत हर साल छोटे किसानों को छह हजार रुपए दिए जाते हैं और ये रकम सीधे उनके खातों में ट्रांसफर की जाती है। इसके अलावा आवास योजना और शौचालय के लिए भी सरकार ने जो कदम उठाया उसके चलते गांव-गांव के लोगों को यह नजर आया कि किस सरकार में उन्हें क्या लाभ मिला और इसी का लाभ भाजपा को मिला।</p>
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आईएन ब्यूरो

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