यूपी में अब नहीं चल पाएगा लव जिहाद, सरकार ने बनाया कानून, राज्यपाल ने दी मंजूरी

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा प्रस्तावित धर्मांतरण रोधी अध्यादेश को शनिवार को राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है। उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश (Uttar Pradesh Prohibition of Unlawful Religious Conversion Ordinance, 2020) के मसौदे को राज्यपाल से अनुमोदन के लिए बुधवार को राजभवन भेजा गया था।

योगी आदित्यनाथ मंत्रिपरिषद की बैठक में मंगलवार को <a href="https://hindi.indianarrative.com/india/vhp-released-a-list-of-170-cases-of-love-jihad-and-demanded-the-government-to-make-laws-14900.html">धर्मांतरण कानून</a> के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद बुधवार को इसको राज्यपाल के पास अनुमोदन के लिए भेजा गया था। राज्यपाल से मंजूरी मिलते ही यह अध्यादेश के रूप में यूपी में लागू हो गया है। अब ऐसा अपराध गैर जमानती माना जाएगा।

अध्यादेश के अनुसार, किसी एक धर्म से अन्य धर्म में <a href="https://hindi.indianarrative.com/india/yogi-sarkar-going-to-bring-law-to-prohibit-love-jihad-12815.html">लड़की का धर्म परिवर्तन अगर सिर्फ एकमात्र प्रयोजन शादी के लिए</a> किया जाता है तो ऐसा विवाह शून्य (अमान्य) की श्रेणी में लाया जा सकेगा। राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद अब इस अध्यादेश को छह माह के भीतर विधानमंडल के दोनों सदनों में पास कराना होगा।
<h2>दो माह पहले जिला मजिस्ट्रेट को देनी होगी सूचना</h2>
ज्ञात हो कि अध्यादेश के अनुसार एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन के लिए संबंधित पक्षों को विहित प्राधिकारी के समक्ष उद्घोषणा करनी होगी कि यह धर्म परिवर्तन पूरी तरह स्वेच्छा से है। संबंधित लोगों को यह बताना होगा कि उन पर कहीं भी, किसी भी तरह का कोई प्रलोभन या दबाव नहीं है। अध्यादेश में धर्म परिवर्तन के सभी पहलुओं पर प्रावधान तय किए गए हैं। इसके अनुसार धर्म परिवर्तन का इच्छुक होने पर संबंधित पक्षों को तय प्रारूप पर जिला मजिस्ट्रेट को दो माह पहले सूचना देनी होगी। इसका उल्लंघन करने पर छह माह से तीन वर्ष तक की सजा हो सकती है।

उत्तर प्रदेश में आज से महज शादी के लिए अगर लड़की का धर्म बदला गया, तो ऐसी शादी अमान्य घोषित होगी। इसके साथ ही धर्म परिवर्तन कराने वालों को 10 वर्ष तक जेल भी भुगतनी पड़ सकती है। गैर जमानती अपराध के मामले में प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के न्यायालय में मुकदमा चलेगा। दोष सिद्ध हुआ तो दोषी को कम से कम एक वर्ष और अधिकतम पांच वर्ष की सजा भुगतनी होगी।.

डॉ. शफी अयूब खान

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