W. Bengal में ममता दीदी की सरकार सिर्फ डेढ़ महीना! एक्शन में CBI खंगाले जा रहे रेप-मर्डर्स से TMC के लिंक

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पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा पूरे देश ने देखा, ममता बनर्जी की सरकार बनते ही बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं के जमकर निशाना बनाया गया। जिन्होंने TMC के खिलाफ वोट दिया था उनके घरों को जला दिया गया यहां तक कि रेप और कत्लेआम की खबरें उस वक्त आम हो गई थी। पश्चिम बंगाल में खासकर उन लोगों को निशाना बनाया गया जिन्होंने भाजपा को वोट दिया था। अब इस मामले पर ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। क्योंकि इस मामले पर अब सीबीआई एक्टिव हो गई है।</p>
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<strong>सीबीआई और एसआईटी बंगाल हिंसा की करेगी जांच</strong></p>
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केंद्रीय जांच एजेंसी ने बंगाल चुनाव के बाद हुए रेप और मर्डर केसों की जानकारी राज्य के डीजीपी से मांगी है। पूरे मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि सीबीआई ने डीजीपी से हत्या, हत्या के प्रयास और रेप के दर्ज मामलों की जानकारी मांगी है। इसके तहत एजेंसी ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स, घटनाओं के सीक्वेंस की जानकारी, संदिग्धों और गवाहों के बयान आदि भी मांगे हैं। सीबीआई के निदेशक सुबोध कुमार जायसवाल ने मामलों की जांच के लिए 4 स्पेशल टीमों का गठन किया है। हर टीम में 7 सदस्यों को शामिल किया गया है।</p>
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<strong>अडिशनल डायरेक्टर अजय भटनागर के कंधों पर जांच का भार</strong></p>
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इन टीमों को सीबीआई के कोलकाता स्थित स्थानीय दफ्तर के अधिकारी सपोर्ट करेंगे। इन 4 स्पेशल टीमों का हेड जॉइन डायरेक्टर्स के पद पर तैनात अनुराग, रमनीशन, विनीत विनायक और सम्पत मीणा को बनाया गया है। और पूरी जांच की निगरानी की जिम्मेदारी अडिशनल डायरेक्टर अजय भटनागर के हाथों सौंपा गया है।</p>
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सीबीआई और एसआईटी को बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामलों की जांच का आदेश पश्चिम बंगाल हाई कोर्ट ने गुरवार को ही दे दिया था। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि, रेप और मर्डर के मामलों की जांच सीबीआई करेगी और उससे इतर अन्य मामलों की जांच एसआईटी करेगी। बताते चलें कि, ममता सरकार शुरू से ही सीबीआई जांच का विरोध कर रही थी।</p>
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<strong>ममता सरकार को लगेगा बड़ा झटका</strong></p>
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हालांकि, ममता बनर्जी सरकार का कहना है कि वह इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील करेगी। TMC सांसद सौगत रॉय ने कोर्ट के फैसले के बाद कहा था कि, पार्टी की ओर से शीर्ष अदालत में इस फैसले को चुनौती दी जा सकती है। वहीं, इससे पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की 7 सदस्यों की टीम भी बंगाल में हिंसा की जांच कर चुकी है। अब सीबीआई और एसआईटी के जांच के आदेश के बाद ममता सरकार के लिए यह किसी बढ़े झटके से कम नहीं है।</p>
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आईएन ब्यूरो

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