राष्ट्रीय

जब गोलियों से छलनी Indira Gandhi को लाया गया था AIIMS, सर्जन ने बताया कैसा था खौफनाक मंजर

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) दिल्ली में 31 अक्टूबर 1984 की सुबह नए निदेशक कार्यभार संभालने वाले थे कि अचानक जो घटा, उसकी किसी ने सपने में भी कल्पना नहीं की थी। थोड़ी ही देर बाद गोलियों से छलनी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को वहां लाया गया। अस्पताल में हताशा और अफरा-तफरी का ऐसा माहौल उत्पन्न हो गया जिसे शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल था। श्रीमती गांधी का ऑपरेशन कर उनके शरीर से गोलियां निकालने वाले डॉ. पी. वेणुगोपाल आज भी उस खौफनाक दिन को भूल नहीं पाए हैं। अनुभवी हृदय रोग विशेषज्ञ ने अपने संस्मरणों को लेकर लिखी किताब हार्टफेल्ट में उन चार घंटों का विस्तृत विवरण दिया है जब एम्स के डॉक्टरों, सर्जनों और नर्सिंग स्टाफ ने गांधी को बचाने के लिए अथक प्रयास किया था।

अस्पताल के गलियारे में अगले प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण पर हो रही राजनीतिक चर्चा

वेणुगोपाल उस समय एम्स (AIIMS) के कार्डियक सर्जरी विभाग के प्रमुख थे और अगस्त 1994 में भारत में पहला हार्ट ट्रांसप्लांट करने की उपलब्धि भी उन्हीं के नाम दर्ज है। पिछले हिफ्ते एम्स के पूर्व निदेशक की किताब का विमोचन किया गया। उन्होंने किताब में लिखा है खून से सनी उनकी साड़ी से फर्श पर गिरती हुई गोलियां, O – रक्त चढ़ाने की जीतोड़ कोशिश, और अस्पताल के गलियारे में अगले प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण पर हो रही राजनीतिक चर्चा… 39 साल बाद, आज भी सब साफ साफ याद है।

पेट से खून बह रहा था और वह अपने ही खून से पूरी तरह भीग गई थीं

उन्होंने लिखा है, बेड पर उस दुबली-पतली काया को देखकर मैं हिल गया। उनके पेट से खून बह रहा था और वह अपने ही खून से पूरी तरह भीग गई थीं। चेहरा पीला पड़ गया था, मानो शरीर से सारा खून निकल गया हो…. खून तेजी से बह रहा था, उनके चारों ओर खून का तालाब बन गया। गांधी की उनके आवास के लॉन में उनके दो सुरक्षा गार्डों द्वारा हत्या कर दी गई थी। हमलावरों ने उन पर 33 गोलियां चलाईं, जिनमें से 30 उन्हें लगीं, 23 उनके शरीर के आर-पार हो गईं जबकि सात अंदर ही धंस गईं।

श्रीमती गांधी को ओ-निगेटिव रक्त चढ़ाने की कोशिश कर रहे थे

वेणुगोपाल (81) ने घटनास्थल की स्थिति बयां करते हुए लिखा है,मैंने देखा कि वे (डॉक्टर) श्रीमती गांधी को ओ-निगेटिव रक्त चढ़ाने की कोशिश कर रहे थे। इस ग्रुप का रक्त आसानी से नहीं मिलता है। लेकिन मुझे नजर आ रहा था कि ये कोशिश बेकार है क्योंकि खून चढ़ाने के साथ ही उनके गोलियों से छलनी शरीर से उतनी ही तेज गति से खून बह भी रहा था।

किसी को कुछ सूझ ही नहीं रहा था

उन्होंने कहा कि अस्पताल में ऐसा माहौल था कि किसी को कुछ सूझ ही नहीं रहा था। वह बताते हैं, एम्स कर्मचारी भारी संख्या में जमा हो गए। मैं डॉ. एच.डी. टंडन, जो उसी दिन निदेशक के रूप में अपना कार्यभार छोड़ रहे थे, और डॉ. स्नेह भार्गव, जो कार्यभार संभाल रहे थे, की ओर बढ़ा। ऐसा लगा उन्हें समझ ही नहीं आ रहा कि करें तो क्या करें। स्पष्ट रूप से, उस दिन निदेशक कौन था, यह अनिश्चितता उन्हें निर्णय या कार्रवाई करने से रोक रही थी। दोनों खामोश थे, उन्होंने मेरी ओर देखा, मानो पूछ रहे हों कि क्या करें ?

वेणुगोपाल कहते हैं कि हृदय शल्यचिकित्सा विभाग के प्रमुख के नाते उन्होंने मेरी ओर देखा और उन्हें तुरंत निर्णय लेना पड़ा। उन्होंने कहा, मैंने उन्हें ओटी (ऑपरेशन थियेटर) में ले जाने का आदेश दिया ताकि हम खून का बहना रोक सकें।सब कुछ इतना जल्दी करना पड़ा कि मैंने सहमति फॉर्म का भी इंतजार नहीं किया और बस आगे बढ़ गया।

सबसे पहले तो बाईपास मशीन की मदद से श्रीमती गांधी के शरीर से बहते खून को रोका

उनकी योजना थी सबसे पहले तो बाईपास मशीन की मदद से श्रीमती गांधी के शरीर से बहते खून को रोका जाए। ताकि खून का प्रवाह पेट की तरफ ना हो, जो गोलियों से छलनी हो गया था। वो चार घंटे तक जूझते रहे। वेणुगोपाल को याद है कि उन्हें अपने ओटी स्क्रब को तीन बार बदलना पड़ा क्योंकि स्क्रब खून सन गया था। दोपहर करीब दो बजे, उन्होंने प्रधानमंत्री को बाईपास मशीन से हटाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें बचा नहीं पाए।

उन्होंने याद किया, मैं उन्हें लेकर आए लोगों को यह खबर देने के लिए जब ओटी से बाहर निकला तो मैं गहराई में, अपने भीतर बहुत ही हताश महसूस कर रहा था। राजीव गांधी, जो देश के पूर्वी हिस्से का दौरा कर रहे थे, वापस लौट रहे थे, और लगभग सबकी यह राय थी कि उनके आने का इंतजार किया जाए।

यह भी पढ़ें: Indira Gandhi ने क्यों लिया था आपातकाल का फैसला? क्या है इसका ऐतिहासिक सत्य ?

देश में 50,000 से अधिक हृदय सर्जरी कर चुके वेणुगोपाल आज भी इस बात पर कायम हैं कि यदि पूर्व प्रधानमंत्री को कवर (गोलियों से बचाव) किया गया होता या उन्हें खींच कर कहीं आड़ में ले जाया जाता तो शुरुआत में लगी गोलियों के बावजूद वह बच जातीं। उन्होंने कहा, यह पता चला कि पहली गोली लगते ही वह गिर पड़ीं और उनके साथ मौजूद लोग उन्हें जमीन पर अकेला छोड़कर वापस भाग गए। इससे हत्यारे का हौसला बढ़ा और उसने एकदम नजदीक से अपनी मशीनगन की कई राउंड गोलियां उन पर दाग दीं।

आईएन ब्यूरो

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

1 year ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

1 year ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

1 year ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

1 year ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

1 year ago