संघ लोक सेवा आयोग की ओर से प्रत्येक वर्ष सिविल सर्विसेज की परीक्षा आयोजित की जाती है। इस EXAM में बड़ी तादात में परीक्षार्थी शामिल होते हैं, बावजूद कुछ ही अभ्यर्थियों का चयन हो पाता है।
संघ लोक सेवा आयोग यानी UPSC प्रत्येक वर्ष सिविल सर्विसेज की परीक्षा का आयोजित करता है। जिसके लिए अभ्यर्थियों को तीन लेवल को पार करना पड़ता है। अभ्यर्थियों का चयन प्रीलिम्स, मेंस और साक्षात्कार के आधार पर किया जाता है । अगर कोई अभ्यर्थी पीटी यानी प्रीलिम्स में फेल हो जाता है,तो वो अगली परीक्षा में शामिल नहीं हो पाता है। इसके लिए ऐसे अभ्यर्थियों को फिर से अगले साल का इंतजार करना पड़ता है। लिहाजा लंबी भर्ती अवधि की आलोचना करते हुए हाल के दिनों में एक संसदीय समिति ने UPSC को सीएसई चक्र को कम करने का सुझाव दिया है।
समिति की राय है कि लंबे भर्ती चक्र अभ्यर्थियों के जीवन के अमुल्य वर्षों को ख़त्म कर देते हैं। लिहाजा किसी भी भर्ती परीक्षा की अवधि आम तौर पर छह महीने से अधिक नहीं होनी चाहिए। लंबे भर्ती चक्र अभ्यर्थियों को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। ऐसे में समिति की राय है कि आयोग को एक वर्ष में दो बार UPSC की परीक्षा आयोजित करनी चाहिए। ताकि अभ्यर्थी पहली बार प्रीलिम्स फेल हो तो वह एक साल में दूसरे नोटिफिकेशन के लिए परीक्षा दे सके।
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि यूपीएससी की सिविल सर्विसेज प्रक्रिया की निष्पक्षता को ध्यान में रखकर यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि प्रत्येक व्यक्ति को सही-सही मौका दिया जाए। लिहाजा अगर वर्ष में यूपीएससी का एग्जाम दो बार आयोजित किए जाते हैं तो अभ्यर्थियों को इससे ज्यादा मदद मिलने की संभावना है।
साथ ही विशेषज्ञों की राय है कि परीक्षा की प्रक्रिया फरवरी में शुरू होती है और साक्षात्कार अगले साल मई के अंत में होती है।इस बीच में प्रीलिम्स, मेंस और साक्षात्कार आयोजित किए जाते हैं।जबकि,साक्षात्कार के 20 दिनों बाद ही फाइनल रिजल्ट प्रकाशित कर दिया जाता है।
हालांकि, यूपीएससी के दिसंबर के अंत तक जब मुख्य परिणाम घोषित होते हैं,तब मई के अंत तक चयनित अभ्यर्थियों की लिस्ट जारी होता है । इस दौरान साक्षात्कार प्रक्रिया लगभग छह महीने तक चलती है। ऐसे में अगर यह परीक्षा साल में दो बार आयोजित की जाती है तो कई सारी चुनौतियों को आयोग को सामना करना पड़ेगा।
वहीं, कई विशेषज्ञों का मानना है कि साल में दो बार परीक्षा आयोजित कराने में सिविल सर्विसेज की गुणवत्ता को बनाए रखने की चुनौती बढ़ जाएगी,जबकि परीक्षा साल में दो बार आयोजित होने से अभ्यर्थियों फायदा जरूर मिलेगा।
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