आज 1 दिसंबर को ‘World AIDS Day' मनाया जा रहा है। एड्स जैसी बीमारी के लिए कोई इलाज नहीं है। बचाव ही इसका एकमात्र इलाज है। समय पर एचआईवी का इलाज नहीं होने से इसका इंफेक्शन बढ़ता है और एड्स का कारण बन जाता है। एड्स के पीड़ितों को जरूरी दवाएं और सुविधाओं से उनकी सुरक्षा और एड्स के प्रसार को नियंत्रित किया जा सकता है। भारत दुनिया भर के एड्स पीड़ितों के लिए एक प्रमुख केंद्र  है। क्योंकि भारत से जैनेरिक दवाएं और मूलभूत इलाज की सुविधाएं बड़े स्तर पर मुहैया कराई जा रही हैं।
AIDS, ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेंसी (HIV) वायरस के संक्रमण से होती है। यह वायरस शरीर के इम्यून सिस्टम पर अटैक करके टी सेल्स को खत्म करता है। इससे व्यक्ति का शरीर सामान्य बीमारियों से भी लड़ने में सक्षम नहीं रह पाता है। समय पर एचआईवी का इलाज नहीं होने से इसका इंफेक्शन बढ़ता है और एड्स का कारण बन जाता है।
इस साल एड्स दिवस की थीम है ‘Ending the HIV/AIDS epidemic: resilience and impact’ (एचआईवी/एड्स महामारी को समाप्त करना: लचीलापन और प्रभाव')।  आपको बता दें कि एचआईवी की पहचान करीब 40 साल पहले हुई थी। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, साल 2019 तक एचआईवी पीड़ितों की संख्या 38 मिलियन हो गई है। वहीं, राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) के अनुसार, 2017 में भारत में 2.1 मिलियन लोग एचआईवी पीड़ित थे। साथ ही भारत के व्यस्कों में एचआईवी का प्रसार दर 0.22 फीसद था।
<h2>भारत ने किया HIV कंट्रोल करने के प्रयास</h2>
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<li>भारत ने साल 1992 में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (NACP) को लॉन्च किया था। इसका उदेश्य एड्स कंट्रोल के लिए नीति और प्राथमिकताएं तय करना था।</li>
<li>इसके बाद, साल 2004 में भारत ने राष्ट्रीय एंटीरेट्रोवाइरल ट्रीटमेंट प्रोग्राम लॉन्च किया गया।</li>
<li>साल 2007 में भारत दक्षिण एशिया का पहला देश बन गया जो एड्स से प्रभावित बच्चों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सुविधा मुहैया करा रहा है।</li>
<li>साल 2016 में प्रोजेक्ट सनराईज शुरू किया गया। इसका मकसद उत्तर-पूर्व के राज्यों में एड्स के बढ़ते मामलों को नियंत्रण करना था।</li>
<li>भारत ने अप्रैल 2017 में WHO के गाइडलाइन पर 'टेस्ट एंड ट्रीट' प्रोग्राम को अपनाया। भारत ने एड्स के लिए एक महत्वपूर्ण कानून बनाया। सरकार ने एचआईवी और एड्स (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 2017 बनाया। यह कानून एचआईवी पीड़ित लोगों को सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित कराता है।</li>
<li>साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एलजीबीटीआई समूह के लोगों के लिए महत्वपूर्ण फैसला किया है। इसमें इस समूह के लोगों को HIV से बचाव के लिए जांच और उपचार सेवाओं को बढ़ाने पर जोर दिया। इसके बाद सरकार का ध्यान इस ओर गया।</li>
<li>वहीं, भारत ने साल 2016 तक 2007 के मुकाबले मृत्यु दर में 55 फीसद की कमी लाया है। ऐसे ही एचआईवी इंफेक्शन में साल 2000 के मुकाबले 66 फीसद की कमी आई है। जो सकारात्मक संकेत है।</li>
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<h2>भारत में एंटीरेट्रोवाइरल ट्रीटमेंट की स्थिति</h2>
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<li>साल 2017 में 56 फीसद एचआईवी पीड़ितों का  इलाज चल रहा था। साल 2013 अधिक लोग जुड़े जिसका आकड़ा 36 फीसद है।</li>
<li>वहीं इलाज कराने में महिलाएं आगे हैं जिनका आंकड़ा 63 फीसद है जबकि पुरूष 50 फीसद पर हैं।</li>
<li>एक आंकड़े के मुताबिक, साल 2017 में 11 मिलियन HIV पीड़ित एंटीरेट्रोवाइरल ट्रीटमेंट सेंटर पर पहुंचे थे।</li>
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आज भारत की पहचान उचित मूल्य पर दवाइयां उपलब्ध के कराने वाले देश की बनी है। जून 2016 तक भारत  विकासशील देशों में 80 फीसद से अधिक एंटीरेट्रोवाइरल दवाओं की आपूर्ति कर रहा था। एक आंकड़े के मुताबिक, अफ्रीका के दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रों में एचआईवी/एड्स पीड़ितों की सबसे बड़ी आबादी रहती है। इन इलाकों में भारतीय दवाएं सबसे अधिक आयात की जा रही हैं। हालिया आंकड़ा बताते हैं कि भारत ने दुनिया भर में 15 मिलियन से अधिक जीवन-रक्षक एंटीरेट्रोवायरल दवाओं को पहुंचाया है। जो एड्स पीड़ितों के लिए बहुत मददगार साबित होती हैं।.
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