Galwan Valley Clash: गलवान झड़प के बाद मजबूत हुआ भारत मगर ड्रैगन के जबड़े से अक्साई चिन छुड़ाना अभी बाकी है

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गलवान घाटी में हुई झड़प के एक साल हो गए हैं। इतने दिन बाद भी दोनों देशों के बीच तनाव जैसी स्थिति बनी हुई है। कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक बातचीत हो चुकी है, लेकिन बात नहीं बन पायी। इस झड़प के बाद भारत ने सीमा पर अपनी ताकत बढ़ा दी है। रक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े लोगों ने बताया कि गलवान घाटी प्रकरण ने भारतीय सुरक्षा क्षेत्र के योजनाकारों को चीन से निपटने में देश का रुख तय करने के साथ ही छोटी अवधि में और दूरगामी खतरे का आकलन करते हुए रणनीति तैयार करने में मदद मिली। पिछले करीब पांच दशकों में सीमाई क्षेत्र में सबसे घातक झड़प में पिछले साल 15जून को गलवान घाटी में भारत के 20सैनिकों शहीद हो गए थे,  जिसके बाद दोनों सेनाओं ने टकराव वाले कई स्थानों पर बड़े पैमाने पर जवानों और हथियार समेत साजो-सामान की तैनाती कर दी।</p>
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चीन के खिलाफ भारत की तैयारी किस रूप में होनी चाहिए इसको लेकर गौतम बंबावाले ( चीन में भारत के पूर्व राजदूत) का मानना है कि लंबी अवधि को ध्यान में रखकर रणनीति तैयार करने की जरूरत है। गौतम बंबावाले के छपे एक लेख में उनका कहना है कि हमें खुद से यह सवाल पूछना है कि भारत को अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने और चीन के मुकाबले अपने राष्ट्रीय हित को बढ़ावा देने के लिए कम अवधि और लंबी अवधि में क्या करना है। साथ ही यह समझना होगा कि चीन की ओर से पूर्वी लद्दाख में षडयंत्र केवल एक सैन्य मामला नहीं है।</p>
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भारत का आर्थिक आकार और विकास, तकनीकी कौशल, साक्षरता और जीवन प्रत्याशा जैसे सूचकांकों में चीन से पीछे रहना भी एक बहुत बड़ा मुद्दा है। जीडीपी और अर्थव्यवस्था के आकार के मामले में भारत और चीन के बीच बड़ा अंतर है। लंबी अवधि में भारत को इस विषमता से निपटना है और इसे कम करना है। भारत को 25साल की अवधि में निरंतर, तेज गति से आर्थिक विकास सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। हमें अपनी अर्थव्यवस्था में पर्याप्त निवेश सुनिश्चित करना होगा ताकि हम 8%जीडीपी विकास पथ को फिर से हासिल कर सकें जो हमने अतीत में हासिल किया था।</p>
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सवाल यह भी है कि भारत कम से मध्यम अवधि में क्या करता है जब इस प्रकार की विषमता बनी रहती है। अपनी क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिए भारत को अगले पांच से छह वर्षों में क्या करने की आवश्यकता है? गौतम बंबावाले का कहना है कि इसका उत्तर सरल और सीधा है, हमें अन्य राष्ट्रों के साथ संतुलन गठबंधन बनाना होगा जो अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर हमारा समर्थन करेगा। साथ ही हमें आधुनिक हथियारों और तकनीक उपलब्ध कराता रहे जिसकी हमें जरूरत है। इस प्रकार के गठबंधन हमें चीन द्वारा लागू राजनीतिक और सैन्य जबरदस्ती से अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने में सक्षम बनाएंगे।</p>
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ऐसे गठबंधन बनाने के लिए राष्ट्रों या देशों के तीन समूह हैं जिन पर हम विचार कर सकते हैं। पहला है दुनिया का प्रमुख लोकतंत्र। ऐसे देशों के उदाहरण अमेरिका, फ्रांस, यूके, जापान और ऑस्ट्रेलिया हैं। क्वाड ऐसे संतुलित गठबंधन का एक उदाहरण है। यही कारण है कि पिछले कुछ महीनों में क्वाड हिंद-प्रशांत में एक शक्ति केंद्र के रूप में तेजी से विकसित हुआ है। इसके अलावा रूस और वियतनाम दोनों का ख्याल आता है। तीसरा, बांग्लादेश जैसा देश। हम इन देशों के साथ गठबंधन के एक समूह पर विचार कर सकते हैं।</p>

आईएन ब्यूरो

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