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मुख्यमंत्री पद का शपथ लेते ही Yogi Adityanath ने इतिहास रचते हुए अपने नाम किया ये 4 खास रिकॉर्ड, अब तक नहीं बना कोई ऐसा CM

CM पद का शपथ लेते ही Yogi Adityanath ने अपने नाम किया ये 4 खास रिकॉर्ड

योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर से इतिहास रच दिया है। उन्होंने लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। योगी आदित्यनाथ एक बार फिर से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की कमान संभाल ली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 50 से अधिक मेहमानों की मौजूदगी में राज्यपाल आनंदी बेनन पटेल ने योगी आदित्यनाथ को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस शपथ के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई सारे खास रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज कर लिया है।

37 साल बाद लगातार दूसरी सीएम बनने का रिकर्ड, किसी सीएम की वापसी

उत्तर प्रदेश की राजनीति में पिछले 37 साल से किसी भी लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी नहीं हुई थी। ऐसा कारनामा करने वाली सीएम योगी हैं जिन्होंने 37 साल बाद लगातार दूसरी बार सीएम पद का शपथ लेकर इतिहास रच दिया है। उनसे पहले कांग्रेस पार्टी के नारायण दत्त तिवारी ने 1985 में यह कारनामा किया था। वह अविभाजित यूपी के सीएम थे और लगातार दो बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। एनडी तिवारी के कार्यकाल के बाद कोई और सीएम सत्ता में वापसी में कामयाब नहीं हुआ था।

उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी करने वाले पांचवें सीएम

इसके साथ ही एनडी तिवारी से पहले तीन अन्य मुख्यमंत्री भी सत्ता में वापसी कर चुके थे। 1957 में संपूर्णानंद, 1962 में चंद्रभानु गुप्ता और 1974 में हेमवती नंदन बहुगुणा लगातार दो बार मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे थे। योगी यूपी के 5वें सीएम हैं उन्होंने लगातार दूसरी बार सत्ता संभाली है।

इस तरह बने बीजेपी के पहला सीएम

उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी और बहुचर्चित पार्टी समाजवादी पार्टी को उखाड़ फेंकने वाली बीजेपी के राज्य में योगी आदित्यनाथ से पहले कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री बन चुके हैं। लेकिन, इनमें से कोई भी लगातार दूसरी बार सीएम नहीं बन सकें। ऐसे में योगी आदित्यनाथ यूपी के पहले सीएम हैं जिन्होंने लगातार दूसरी बार सीएम पद की शपथ ली है।

कोई विधायक 15 साल बाद सीएम बना है

इसके साथ ही चौथा रिकॉर्ड यह है कि, यूपी में 15 साल बाद विधानसभा का कोई सदस्य मुख्यमंत्री बना है। पिछले कार्यकाल में योगी जब मुख्यमंत्री बने तब वह लोकसभा के सदस्य थे। लोकसभा की सदस्यता छोड़ने के बाद वह विधान परिषद के सदस्य बने थे। योगी से पहले अखिलेश यादव और मायावती भी एमएलसी के रूप में ही मुख्यमंत्री बने थे।