सेब और केसर ही नहीं अब ऑर्गेनिक वेजिटेबल्स के लिए दुनिया में अलग पहचान बना रहा कश्मीर का वानीगुंड गांव। रसायन मुक्त जैविक खेती को भविष्य की खेती का माना जा रहा है। पोषणयुक्त भोजन से लोगों के पेट भरने का यह एक बेहतर विकल्प है। इसलिए पूरे देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं। कश्मीर में भी किसानों की आय बढ़ाने के लिए और कृषि को और टिकाऊ बनाने के लिए जैविक कृषि के प्रति किसानों को जागरूक किया जा रहा है। इसके लिए कश्मीर में भी व्यापक पैमाने पर इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
दिलचस्प बात ये है कि कश्मीर के कुलगाम की पहचान अब जिले में एक सब्जी केंद्र के तौर पर होने लगी है और यह एक उभरता हुआ सब्जी केंद्र बन रहा है, जहां से प्रतिदिन 3,000किलोग्रा सब्जियां पैदा हो रही है। यहां हर रोज तकरीबन 3,000किलोग्रा सब्जियां पैदा हो रही है, जिसमें खीरा समेत कुछ अन्य सब्जियां शामिल हैं। वानीगुंड गांव लगभग 400-500कनाल भूमि पर फैला हुआ है और यहां के करीब 250परिवार पूरी तरह से अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। जो अन्य सब्जियों के अलावा भरपूर मात्रा में खीरे का उत्पादन करते हैं।
गांव के प्रगतिशील किसानों में से एक हैं अब्दुल कयूम अली, जो पिछले 15वर्षों से खेती कर रहे हैं। इसके साथ ही बड़ी मात्रा में खीरे की खेती करते हैं. राइजिंग कश्मीर के मुताबिक वो बताते हैं कि वो अपनी दो कनाल जमीन पर खेती करते हैं और खीरे की खेती करते है। हर दो दिन में वो दो-तीन क्विंटल खीरे का उत्पादन करते हैं। उन्होंने बताया की इस साल उन्होंने मई जून के महीने में 90,000रुपए के खीरे की बिक्री की और उनका गांव जैविक गांव घोषित है, इसके चलते कृषि विभाग गुणवत्तापूर्ण उपज में सुधार के लिए प्रशिक्षण और आधुनिक कृषि तकनीक प्रदान करके किसानों की मदद कर रहा है।
इसी कड़ी में आगे अली बताते हैं कि खेती के जरिए वो खुद तो अच्छी कमाई हासिल कर रहे हैं साथ ही वह अन्य व्यक्ति को रोजगार भी दे रहे हैं। खीरे की फसल खत्म होने के बाद वो किसानों को प्याज के बीज लगाते हैं ताकि उसके पौधे किसानों को बेच सकें।