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कोलकाता: खाने-खिलाने वालों का स्वर्ग

तुंग ईटिंग हाउस चिकन हमी (फ़ोटो: सौजन्य: Twitter/@amitvelo) जैसे भोजन में पीढ़ियों से चली आ रही पाक कला से बना व्यंजन है।

कोलकाता या कलकत्ता को जैसा कि पहले जाना जाता था, न केवल अपने आतिथ्य और समावेशिता के लिए यह शहर जाना जाता है, बल्कि यह शहर एक ऐसी जगह भी है, जहां पाक कला की कई शैलियां एक साथ मिल-जुल गयी हैं।इनमें मुग़ल, ब्रिटिश, चीनी, अर्मेनियाई, यूनानी, यहूदी, पारसी, मारवाड़ी और गुजराती आदि शामिल हैं। इस शहर के बारे में आश्चर्यजनक बात यह है कि मूल व्यंजनों की कई ख़ासियत को बरक़रार रखते हुए इसने उन्हें दुनिया में अनूठे बनाने के लिए थोड़-बहुत बदलाव भी किया है।

इस शहर के इसी पहलू को ध्यान में रखते हुए एक खाद्य वेबसाइट ईटर ने पश्चिम बंगाल की राजधानी को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 11 पाक स्थलों में से एक स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया है। इस वेबसाइट ने इस बात की सिफ़ारिश पर ज़ोर दिया है कि यह शहर निश्चित रूप से उन जगहों में से एक है, जहां हर खाने के शौक़ीनों को इस शहर का रुख़ करना चाहिए।

दिलचस्प बात यह है कि जहां भारत और इसके सैकड़ों महानगरों और शहरों में सैकड़ों खाद्य पदार्थ हैं, वहीं कोलकाता इस सूची में जगह बनाने वाला एकमात्र ऐसा शहर है,जहां इन तमाम शहरों के खाद्य पदार्थों की विशिष्टता को अपने भीतर समाये हुए है।

जहां ईटर ने कोलकाता के ऐसे 31 आवश्यक रेस्तरां सूचीबद्ध किए हैं, जिन्हें खाने के शौकीनों को अवश्य आज़माना चाहिए, यहां कुछ ऐसे ही रेस्तरां हैं, जिन्होंने अपनी विशिष्टता के लिए इंडिया नैरेटिव का ध्यान अपनी ओर खींचा है।

भारत और चीन कई मुद्दों पर आमने-सामने हो सकते हैं, लेकिन भोजन एक ऐसी चीज़ है, जो दोनों देशों को एक साथ लाने में कामयाब रहा है। जैसा कि लोग कहते हैं, आज की देसी चीनी कोलकाता में ही अस्तित्व में आया था। यह हक्का चीनी व्यापारी थे, जो 1700 के दशक में इस शहर में आये थे और अपने साथ अपना भोजन लेकर आये थे।उस समय अन्य अप्रवासी भी ऐसा ही करते थे। 1800 के दशक में अंग्रेज़ों द्वारा चलाये जा रहे चीनी मिलों और चाय बाग़ानों में काम करने के लिए बंगाल चले गये थे।

इस शहर में उपलब्ध मसालों और सामग्रियों को अपनाते हुए चीनी व्यंजन स्थानीय स्वाद के अनुरूप बदल गए। ऐसी ही एक जगह है तुंग ईटिंग हाउस। चाइनाटाउन में स्थित, यहां हसीह परिवार भोजन परोसता है, जो पीढ़ियों से चले आ रहे व्यंजनों पर आधारित है। इसमें नमक से उपचारित चाइनीज ग्रीन्स, चिकन हमी, सिल्कन वॉन्टन्स, कपताई मेई फन या पिग ऑफल ऑन राइस नूडल्स और हमी सॉस में पोर्क के साथ उमामी-समृद्ध शोरबा में उबाले गए पोर्क के टुकड़े शामिल होते हैं।

 

बद्री की कचौरी

बद्री की कचौरी कचौरी की तरह दिखने वाला मारवाड़ी और राजस्थानी भोजन प्रदान करती है

अपने मूल स्थान,यानी राजस्थान से आने वाले मारवाड़ी समुदाय, जो 18वीं शताब्दी में कोलकाता चले आये थे,उन्होंने राज्य की अर्थव्यवस्था में योगदान दिया है, भोजन पर भी अपनी अमिट छाप छोड़ी है। शहर का सबसे व्यस्त व्यावसायिक स्थान बुर्रा बाज़ार में बड़ी संख्या में मारवाड़ी और इस समुदाय के व्यंजन बेचने वाली दुकानें हैं। बद्री की कचौरी तली हुई बेसन या सेव की मोटी क़िस्में के साथ खस्ता कचौरी परोसती है, जिसे मलाई और मसालेदार आलू के टुकड़ों की मदद से खाया जाता है।

 

रॉयल इंडियन रेस्टोरेंट

रॉयल इंडियन रेस्तरां, कोलकाता में मूल अवधी या लखनवी बिरयानी (फ़ोटो:सौजन्य: Twitter/@ Amrita_Chakra)

मुग़लों में नवाब वाजिद अली शाह, जिन्हें अंग्रेज़ों द्वारा कोलकाता निर्वासित कर दिया गया था,उन्होंने 1856 में कोलकाता बिरयानी की शुरुआत की थी। इसमें आलू और अंडे शामिल होते हैं और यह कम मसालेदार और सुगंधित होते है। इसे रायते या सालन के साथ या उसके बिना खाया जाता है। अहमद हुसैन द्वारा 20वीं शताब्दी की शुरुआत में स्थापित रॉयल इंडियन रेस्तरां देशी लखनवी बिरयानी को मांस के बड़े-बड़े टुकड़े और कुछ छोटे-छोटे गोल गूंथे हुए टुकड़े के साथ परोसा जाता है।

यह स्थान खुस्का या हल्दी-रंग वाले चावल के एक हल्के व्यंजन के लिए भी जाना जाता है, बकरी के मांस के टुकड़ों से बने हल्के मसालेदार कलिया, और मटन चाप या बकरी के मांस के स्लाइस को एलियम और मसालों के समृद्ध मिश्रण के साथ पकाया जाता है और स्पष्ट रूप से मक्खन में भुना जाता है। .

 

नहूम इस्त्राएल मोर्दकै 2

कोलकाता के न्यू मार्केट में बेकरी नहौम एंड संस की स्थापना एक यहूदी नहौम इज़राइल मोर्दकै ने वर्ष 1902 में की थी। यह अपने केक कुकीज़ और मिठाइयों के लिए प्रसिद्ध  और यहां एक प्रतिष्ठित बेकरी है (फ़ोटो:सौजन्य: ट्विटर/@IndiaIsraelConf)

बड़ी संख्या में भारत आने वाले यहूदी कलकत्ता सहित विभिन्न शहरों में बस गए। 19वीं शताब्दी के अंत में बड़ी संख्या में बग]दादी यहूदियों ने इसे अपना घर बना लिया था। नहौम इस्राएल मोर्दकै उनमें से एक था, जिसने हलवाई की दुकान खोली। हालांकि अधिकांश यहूदी अपनी मातृभूमि इज़राइल चले गए हैं, मोर्दकै के आउटलेट में मैकरून, मसालेदार रम बॉल्स, जैम टार्ट्स, बादाम पेस्ट्री, कीमा पाई और कोलकाता के लोगों द्वारा पसंद किए जाने वाले समृद्ध फ्रूटकेक हैं।

 

गिरीश चंद्र डे

गिरीश चंद्र डे और नाकुर चंद्र नंदी मिठाई की दुकान विभिन्न स्वादों में संदेश प्रदान करती है (तस्वीर। सौजन्य ट्विटर/@INDIAEATMANIATV)

कोलकाता की बात करें तो क्या संदेश, मुंह में पानी लाने वाली मिठाई गुलाब जामुन और रसगुल्ला जैसी चीज़ों की तो बात ही अलग है । शहर के उत्तरी भाग में 177 वर्षीय गिरीश चंद्र डे और नकुड़ चंद्र नंदी ताजा छेना से बने संदेश की एक अद्भुत श्रृंखला पेश करते हैं। इस विभिन्न प्रकार के स्वादों में मैंदो, डार्क चॉकलेट, शहतूत, ब्लैक करंट, बटरस्कॉच और बहुत कुछ शामिल हैं।