रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन अनुष्ठान में भाग लेने रामनगरी अयोध्या पहुंचे एक नेपाली आचार्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशंसक हो गए। वहीं, नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के हालिया बयानों पर उन्होंने ओली की जमकर आलोचना की। रामलला के दरबार में वह दोनों देशों की सांस्कृतिक विरासत को संभालने और आपसी मधुरता बढ़ाने की कामना भी कर रहे थे।
दरअसल, इस समय भारत और नेपाल के रिश्तों में थोड़ी खटास है। फिर भी बड़प्पन दिखाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने भूमि पूजन के समय भारत और नेपाल के सांस्कृतिक संबंधों की सकारात्मक चर्चा की। नेपाली आचार्य पंडित दुर्गा प्रसाद गौतम, भूमि पूजन अनुष्ठान में मोदी को सहयोग कर रहे थे।
नेपाली आचार्य ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में कहा, "प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठकर राममंदिर निर्माण के लिए भूमि-पूजन करना मेरे लिए गौरव की बात है। किसी जन्म के पुण्य का प्रताप है, जो यह अवसर मुझे मिला है। नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के गृह जनपद झापा के रहने वाले दुर्गा प्रसाद ने ओली द्वारा राम के बारे में दिए गये बयान की निंदा की। हालांकि, उन्होंने इस बात की खुशी भी जताई कि एक कम्युनिस्ट ने राम के अस्तित्व को माना तो, मेरे लिये यही खुशी की बात है।"
पंडित दुर्गा प्रसाद ने कहा कि पूरा विश्व जानता है भगवान राम अयोध्या में जन्मे हैं। उन्होंने कहा कि ओली के इस तरह के बेतुके बयान से नेपालवासियों को बड़ी परेशानी होगी, क्योंकि भारत के हर कोने में नेपाली रहते हैं।
आचार्य ने बताया कि ओली के बयान की पूरे नेपाल में निंदा हो रही है। उनके इस बयान से वहां बहुत सारे लोगों को दुख हुआ है। उनकी पार्टी में भी इसका विरोध हुआ। "राम अयोध्या में जन्मे हैं, यह बच्चा -बच्चा जानता है इसके लिए ओली अथवा और किसी से सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है।"
एक सवाल के जवाब में पंडित दुर्गा प्रसाद ने कहा कि ऐसे बयानों से दोनों देशों के बीच सदियों से चले आ रहे रोटी-बेटी के संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि ओली के इस बयान को लोग चुटकुला मान रहे हैं। नेपाली और भारतीय संस्कृति मिलती जुलती है। विवाह संस्कार, पूजा पद्घति और वेद, कर्मकांड, से लेकर ससुर दामाद का रिश्ता भी है। उन्होंने कम्युनिस्ट होने के बाद राम के बारे में ऐसा बयान दिया। राम को काल्पनिक बताने वाले आज उनके अस्तित्व को मानते हैं। इतने बड़े पद में रहने के बाद ऐसा ओछा बयान देना निंदनीय है।
नेपाली आचार्य ने बताया कि भूमि पूजन का पूरा अनुष्ठान संस्कृत के श्लोकों में हुआ। पूजन में कोई त्रुटि न हो इसलिए प्रधानमंत्री मोदी को बीच-बीच में हिन्दी में भी बताया जा रहा था। पूरे अनुष्ठान को प्रधानमंत्री ने बड़ी तल्लनीता से पूर्ण किया।
एसपीजी का प्रोटोकील था, इसलिए सबके बीच दूरी काफी थी लेकिन जब भी प्रधानमंत्री को कोई दिक्कत हुई साथी पुरोहितों ने पहुंच कर उनका सहयोग किया और शांतिपूर्ण ढंग से अनुष्ठान पूरा हो गया। उन्होंने बताया कि मुख्य रूप से चंद्रभान पांडेय और आचार्य जयप्रकाश काशी से थे।
बाकी 21 लोगों में एक नेपाली, अयोध्या के चार, दिल्ली के पांच, बस्ती से एक, काशी से पांच, प्रयागराज से एक, दक्षिण भारत से तीन और एक आचार्य वृंदावन से अनुष्ठान में शामिल हुए थे। उन्होंने बताया कि किसी भी तरह के अनुष्ठान में यजमान होना आवश्यक है ऐसे में अशोक सिंघल के भतीजे मुख्य यजमान के रूप में पत्नी के साथ बैठे थे। नेपाली आचार्य दुर्गा प्रसाद अयोध्या में ही रहकर कुछ समय से पूजन अनुष्ठान करवाते हैं।.
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