गुरु प्रदोष: सूर्यास्त के समय रुद्राभिषेक करेंगें तो सारे बिगड़े काम बनेंगे, सोचिए मत-करके देखिए!

<p>
माधव मास यानी वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत आज ही है। त्रयोदशी तिथि भगवान शंकर को समर्पि है।  प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर व माता पार्वती की विधिवत पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, कृष्ण पक्ष व शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखना चाहिए। आज गुरुवार होने के कारण गुरु प्रदोष व्रत का योग बन रहा है। गुरु प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर की विधिवत पूजा करने से भक्त को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। जानें गुरु प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि व व्रत कथा-</p>
<p>
गुरु प्रदोष व्रत 2022 अप्रैल शुभ मुहूर्त-</p>
<p>
आज 12 बजकर 23 मिनट से त्रयोदशी तिथि प्रारंभ होगी, जो कि 29 अप्रैल को तड़के 12 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार प्रदोष व्रत 28 अप्रैल को ही रखा जाएगा। भगवान शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त 28 अप्रैल को शाम 06 बजकर 54 मिनट से रात 09 बजकर 04 मिनट तक है</p>
<p>
प्रदोष व्रत पूजा विधि-</p>
<p>
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाता है।  सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल माना जाता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का अभिषेक करें व बेलपत्र भी अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव के मंत्रों का जप करें। जप के बाद प्रदोष व्रत कथा सुनें। अंत में आरती करें और पूरे परिवार में प्रसाद बांटे।</p>
<p>
गुरु प्रदोष व्रत कथा-</p>
<p>
पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का स्वर्गवास हो गया था। उसका अब कोई सहारा नहीं था इसलिए वह सुबह होते ही वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी। वह खुद का और अपने पुत्र का पेट पालती थी।</p>
<p>
एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो उसे एक लड़का घायल अवस्था में कराहता हुआ मिला। ब्राह्मणी दयावश उसे अपने घर ले आई। वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था। शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बना लिया था और राज्य पर नियंत्रण कर लिया था इसलिए वह मारा-मारा फिर रहा था। राजकुमार ब्राह्मण-पुत्र के साथ ब्राह्मणी के घर रहने लगा।</p>
<p>
एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई। अगले दिन अंशुमति अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लाई। उन्हें भी राजकुमार पसंद आ गया। कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता-पिता को शंकर भगवान ने स्वप्न में आदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दिया जाए। वैसा ही किया गया।</p>
<p>
ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करने के साथ ही भगवान शंकर की पूजा-पाठ किया करती थी। प्रदोष व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता के साथ फिर से सुखपूर्वक रहने लगा। राजकुमार ने ब्राह्मण-पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया। मान्यता है कि जैसे ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के प्रभाव से दिन बदले, वैसे ही भगवान शंकर अपने भक्तों के दिन फेरते हैं।</p>
<p>
कथा सुनने और आरती-क्षमा प्रार्थना और प्रदक्षिणा के बाद प्रसाद को सभी लोगों में वितरित करें और स्वयं भी प्रसाद पायें। और हरिनाम का संकीर्तन करते हुए शयन के लिए जाएं।</p>

आईएन ब्यूरो

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

1 year ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

1 year ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

1 year ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

1 year ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

1 year ago